Wednesday, April 11, 2007

आत्‍म-परिचय


बचपन की सुहानी यादो की खुमारी अभी भी टूटी नही है..

जवानी की सतरगी छाव आज़मगढ़, इलाहाबाद, और दिल्ली मे..

फिलहाल १२ साल से मुम्बई मे..

चैनल के साथ रोजी-रोटी का नाता..

5 comments:

अभय तिवारी said...

विमल भाई.. बधाई हो ..स्वागत है आपका.. अब सा पा सा बैठाइये और जम के गाइये..

ajai said...

vimalji,mubarak ho
aakhir kar diya aapne ek shuruwat
ummeed hai dilchasp hogi iski har baat.
gorakhpur aur deoria bhi to aap rahe hai aate jaate.
ummeed hai aap batayenge waha ki bhi kuch purani baate.
aur gaur farmaye
aksar karte rahte hai baal kala karne ki tayyari.
lekin jaane nahi diya hai bachpan ke suhane yaadon ki khumari.
apne andar ke bachche ko dularte rahiye,bahut bahut badhai
ajai srivastav

अनिल रघुराज said...

विमल जी, क्या आप भी??? स्वागत है। लिखिए खूब लिखिए। लेखन में ताजा बयार लेकर आइए। स्वागत है। हमारे पास तुम्हारे पास, सत्य की गेंती है, तसला है तगारी है, बनाने को नए-नए भवन मनुष्य के, आत्मा के...(मुक्तिबोध की कविता याद नहीं आ रही है, सालों हो गया पढ़े हुए)

VIMAL VERMA said...

आप सभी को दिल से धन्यवाद . थोडा व्यस्त हू .जल्दी ही कुछ लेकर आता हू.

कच्चा चिट्ठा said...

विमल जी! स्वागत के लिए बहुत-बहुत धन्यवाद।

आज की पीढ़ी के अभिनेताओं को हिन्दी बारहखड़ी को समझना और याद रखना बहुत जरुरी है.|

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