Wednesday, November 28, 2007

दोस्तों को समर्पित एक ब्रेख्त का गीत !!

आज ब्रेख्त का एक गीत आपको समर्पित करना चाहता हूं । इलाहाबाद में प्रवास के दिनो में हम(प्रमोद, अनिल,उदय और बाद में अभय भी) बड़ी तबियत से गाया करते थे, इन गीतों को कोरस के साथ सुनने का मज़ा कुछ और ही है, खैर गीत तो अनगिनत हैं,
पर अच्छे गीत कुछ ही हैं जिन्हें मै लिखने की कोशिश कर रहा हूं, याददाश्त के सहारे लिख रहा हूं, अगर किसी तरह की भूल हो तो तो आप मदद कर सकते है, अभय के कहने पर इसे अपने ब्लॉग पर चढा रहा हूं ।

गर आपकी प्लेट खाली है तो सोचना होगा

कि खाना कैसे खाओगे

गर आपका तसला खाली है तो सोचना होगा

कि खाना कैसे खाओगे

ये आप पर है कि पलट दो सरकार को उल्टी

जब तक कि खाली प्लेट नहीं भरती

अपनी मदद आप करो

किसी का इंतज़ार ना करो
यदि काम नहीं है और आप हों गरीब

तो खाना कैसे होगा ये आप पर है

सरकार आपकी हो ये आप पर है

(पलट दो सर नीचे और टांगे ऊपर)

ये आप पर है कि पलट दो सरकार को उल्टी

तुम पर हंसते हैं कहते हैं तुम गरीब हो

वक्त मत गंवाओ अपने आपको बढ़ाओ

योजना को अमलीजामा पहनाने के लिये

गरीब गुरबां को अपने साथ लाओ

ध्यान रहे कि काम होता रहे- होता रहे- होता रहे

जल्दी ही समय आयेगा जब वो बोलेंगे

कमज़ोर के आस पास हंसी मंडरायेगी हंसी मंडरायेगी

गर आपकी प्लेट खाली है तो सोचना होगा कि खाना

कैसे खाओगे गर आपका तसला खाली है तो ................. !!!!!!!!!

9 comments:

अभय तिवारी said...

सच विमल भाई.. कल आप के साथ यह गाना गाकर पुराने दिन याद आ गए.. और आनन्द आ गया और भी इसे यहाँ पर देख कर ..

Unknown said...

( पलट दो,उलटी,सर नीचे और टाँगे ऊपर !)

अनिल रघुराज said...

विमल जी, लगता है हम तो आज भी वहीं किसी मोड़ पर, नुक्कड़ पर अटके पड़े हैं। इसलिए आहट मिलते ही पूरा गीत और अदा याद आ जाती है।

इरफ़ान said...

विमल भाई ! आप भी मुझे गायक नहीं मानते यह जानकर थोडा मलाल रह गया. बहरहाल मज़ा आ गया. जल्दी ही मैं आपका एक इन्टरव्यू जारी करने वाला hoon .

Manish Kumar said...

shukriya vimal ji kal aap logon ke sammilit swar mein ye sun kar man romanchit ho gaya. asha hai ek din is ka podcast bhi sunne ko milega.

Vikash said...

मेरा सौभाग्य कि स्वयम आपसे यह गीत सुनने को मिला.

VIMAL VERMA said...

भाई कल वाकई सभी को देखकर थोडा बल मिला और आपसभी जिस तरह से गाने को सुनकर उत्साहित थे मेरा मन किया कि बहुत दिनों बाद हम मित्रों का इस तरह मिलना हुआ और ये गीत अभी तक याद है यही सोचकर अच्छा लग रहा था और और धीरे सब याद आने लगा और लिख डाला , और इरफान कि टिप्पणी पर इतना कि इरफान आप भी कई बार हमारे गायन मंडली के हिस्सा रहे हैं वाकई ये मैं कैसे भूल गया ? अरे अपने साथी पंकज को भूल गया, तिशु और अमरेश को भूल गया और भी बहुत से साथियों ने इस गीत को साथ गाया था और भी नाम है जो छूट गए वो मुझे क्षमा करेंगे, और आप सभी का शुक्रिया कि आपने इस प्रयास को सराहा !!

Yunus Khan said...

भई हमने आपसे वादा किया है कि इन गीतों की रिकॉर्डिंग में मदद करेंगे । मंडली पूरी कीजिए तो कुछ किया जाए । तब तक आप तो कम से कम इसे गा कर चढ़ाईये । लोगों को भी तो पता चले कि आप कितनी बुलंद आवाज़ और जवां अंदाज में गाते हैं ।
मैंने सुना है इसलिए कह रहा हूं । दोस्‍तो सुन रहे हैं ना ।

ankur said...

aap logo ki parampara ko aage badhate hue, usi banner ke tale aaj bhi alakh jagaye hue hai. khas ker is geet ko bhi hum log usi tarz per gaate hai. bambaiya bhasha me kaha jaye tho sangeet aap logo ki gaiki hamari. kewal yahi nahi aap logo ke gaaye dhero geet aur aap log bhi hum logo ke liye aaj bhi maujun hai.......ankur,.DASTA,.......

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