tag:blogger.com,1999:blog-2382589589569560500.post3341145615058772850..comments2023-10-29T13:05:28.570+05:30Comments on ठुमरी: चैन से सो रहा था मैं...VIMAL VERMAhttp://www.blogger.com/profile/13683741615028253101noreply@blogger.comBlogger8125tag:blogger.com,1999:blog-2382589589569560500.post-16316833795296861472007-07-23T12:39:00.000+05:302007-07-23T12:39:00.000+05:30vimalji aise log saap ke niklne ke baad bhi nahi s...vimalji aise log saap ke niklne ke baad bhi nahi sudhrenge,ho sakta hai ye mahoday kisi khoonte per baith jaye aur kisi se apni taang khichwa kar chillaye sabka dhyan aakarsit karne ke liye.to inhe chillane dijiye aap to likhte rahiye.ye kya main bhi likhne laga?ajaihttps://www.blogger.com/profile/18164079528163802193noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2382589589569560500.post-12516776171612418392007-07-21T22:03:00.000+05:302007-07-21T22:03:00.000+05:30भाई अनिलजी आपको इस श्टाइल समभावना नज़र आ रही है और ...भाई अनिलजी आपको इस श्टाइल समभावना नज़र आ रही है और अभयजी को अनोखी कथा लगी,और मयंकजी का कहना है सांप को अन्दर ही रहने दें नही तो वो बाहर निकल कर ख़तरनाक हो सकता है...जन सेवकजी को लग रहा है कि ये सारी कथा उन्ही पर आधारित है जन सेवक जी की बात गलत है जन सेवक जी मेरे प्रेरणा हैं और अगर वो ना उकसा रहे होते तो ये समझिये एक ब्लागर कुछ ही दिनों मे दम तोड़ देता वैसे भी मेरा लिखने से नाता भी ब्लाग से शूरु हुआ है... मै अन्य साथियो की तरह लिखाड़ भी नही हूं,और अपने ब्लाग जगत में नकारात्मक किस्म के कुछ बेनाम हैं उन ज़रुर लिखा है मैने पर जन सेवक पर कतई नहीं उनकी वजह से इस पोस्ट का मसाला मिला उनकॊ धन्यवाद,भईया अनामदासजी आप तो वाकई अनामदास का पोथा हैं आपको अब नाम की क्या ज़रुरत, बाज़ार वाला को भी धन्यवाद कि उन्होने सुनी हुई कथा फिर से सुनी, और अन्त में बही मैं नया मुल्ला हुं तो मुझे जमकर प्याज खाने दें किसी को प्याज की झांस लग भी रही हो तो माफ़ करेंगे!!!!VIMAL VERMAhttps://www.blogger.com/profile/13683741615028253101noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2382589589569560500.post-55041840400758681732007-07-21T19:15:00.000+05:302007-07-21T19:15:00.000+05:30क्यों भाई, इतना चक्करदार तरीक़े से अनाम लोगो को गा...क्यों भाई, इतना चक्करदार तरीक़े से अनाम लोगो को गाली क्यों दे रहे हैं. किसी अनाम ने आपके ब्लॉग को उपजाऊ बनाने के लिए कम्पोस्ट तो नहीं डाल दिया. कहानी मज़ेदार है, पहले भी सुनी थी लेकिन आपका सुनाने का अंदाज़ अच्छा लगा.अनामदासhttps://www.blogger.com/profile/10451076231826044020noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2382589589569560500.post-50959242335529116552007-07-21T14:29:00.000+05:302007-07-21T14:29:00.000+05:30अपने कालेज मे ये कहानी एक बार मैंने अजित सिंह को स...अपने कालेज मे ये कहानी एक बार मैंने अजित सिंह को सुना दी थी। हाँ , उसमे बेनाम के नाम की जगह उसी का नाम रख दिया था। बाद मे वो काफी लड़को को बुला कर लाया मारने के लिए तो उन्हें भी यही कहानी सुनाई । सब हंसने लगे। दरअसल अजित भी कुछ कुछ वैसा ही था जैसा चरित्र चित्रण आपने किया है। और देखिए ... कही से कुछ जलने की बू आ रही है...सूं सूं सूं ..... हाँ !!! सही मे आ रही है... हा हा हाRising Rahulhttps://www.blogger.com/profile/12177287386975138385noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2382589589569560500.post-63332559631077346092007-07-21T12:59:00.000+05:302007-07-21T12:59:00.000+05:30अरे बाप रे !! पहले शक्ति कपूर कहा फिर **** कहा और ...अरे बाप रे !! पहले शक्ति कपूर कहा फिर **** कहा और अब आगे न जाने किन किन विशेषणों से नवाजा जाऊँगा मैं. <BR/><BR/>आप मेरे लिखे की आत्मा नहीं पकड़ पाए बंधु. मेरा उद्देश्य यहाँ वहाँ कूद फाँद करना कतई नहीं है. क्या मेरी प्रतिक्रियाओं की ध्वनि सुनकर आपको लगता है कि कोई बहुत छिछला और अगंभीर काम मैं कर रहा हूँ. अगर ऐसा है तो मैं क्षमा माँगता हूँ क्योंकि उद्देश्य ये है ही नहीं. मैंने आलोचना के विषय में अपनी टिप्पणी में इसे स्पष्ट करने की कोशिश की भी थी लेकिन लगता है कि उसका उलटा ही असर हुआ. उसे एक सार्थक बहस की तरह लेने की बजाए आपने सोचा कि मैं खेल बिगाड़ने के लिए यहाँ आया हूँ. <BR/><BR/>ये स्पष्टीकरण मैं आपको ही नहीं उन सभी मित्रों को देना चाहता हूँ जो किसी कारण मेरी प्रतिक्रिया (प्रतिक्रियाओं नहीं क्योंकि एक ही प्रतिक्रिया आपके क्रोध का कारण बनी) से आहत हैं.Third Eyehttps://www.blogger.com/profile/15698316715337394391noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2382589589569560500.post-91884163732934456052007-07-21T12:04:00.000+05:302007-07-21T12:04:00.000+05:30रहने दिजीए बाबु सांप को अपने जगह पर हीं रहने दिजीए...रहने दिजीए बाबु सांप को अपने जगह पर हीं रहने <BR/>दिजीए काहे को द्वध पिला रहे हॆं देखने में मजा आता हॆ क्या विमल बाबू ज्यादा बीन मत बजाईए <BR/>वॆद्य जी ने रास्ता सही बताया हॆ आप के करने से हालत बिगड सकती हॆ एहतियात बरते.Anonymoushttps://www.blogger.com/profile/07713657523946639395noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2382589589569560500.post-23884280996312447742007-07-21T11:42:00.000+05:302007-07-21T11:42:00.000+05:30कैसी अनोखी कथा!! जवाब नहीं आप का..कैसी अनोखी कथा!! जवाब नहीं आप का..अभय तिवारीhttps://www.blogger.com/profile/05954884020242766837noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2382589589569560500.post-58234778513458553272007-07-21T10:00:00.000+05:302007-07-21T10:00:00.000+05:30विमल बाबू, क्या श्टाइल है क्या मुद्दा है!! चिरकुट ...विमल बाबू, क्या श्टाइल है क्या मुद्दा है!! चिरकुट पुराण में असीम संभावनाएं हैं। इस बीच बेनाम जी को बोलें कि वो टीवी पर नाग-नागिन के प्यार का समाचार जब भी चलें, जरूर नियम से देखें। हो सकता है सांप प्रेरित होकर किसी और मंशा से बाहर निकल आए। और बेनाम जी को बड़ी सत्यानाशी आदत पड़ गई है। जैसे-जैसे बुढाएंगे, ये आदत प्रबल होती जाएगी। उसका क्या करेंगे?अनिल रघुराजhttps://www.blogger.com/profile/07237219200717715047noreply@blogger.com