tag:blogger.com,1999:blog-2382589589569560500.post7091464181826963856..comments2023-10-29T13:05:28.570+05:30Comments on ठुमरी: खुली चिट्ठी, अज़दक और अनामदास के नाम.....VIMAL VERMAhttp://www.blogger.com/profile/13683741615028253101noreply@blogger.comBlogger10125tag:blogger.com,1999:blog-2382589589569560500.post-58972944631915525642008-04-03T03:08:00.000+05:302008-04-03T03:08:00.000+05:30मैं समझ सकता हूँ कि यह विरोध याकि कहें, ऎतराज़ अप्र...<A>मैं समझ सकता हूँ कि यह विरोध याकि कहें, <BR/>ऎतराज़ अप्रासंगिक नहीं है ।</A><BR/>कुछ जन कउनों चीज़ का खाल पा जायें <BR/>तो ओढ़ के घूमने को मिल जाता हैं ।<BR/>कुछ नहीं तो ब्लागपुरी में हल्ला तो मचेगा ही ।<BR/>पकड़ो रे..बचाओ रे की चिल्लाहट मचवाना ही जैसे<BR/>इनका ध्येय हो ! <BR/><B><I><A>आपकी खुली चिट्ठी ज़ायज़ है !</A></I></B>डा. अमर कुमारhttps://www.blogger.com/profile/12658655094359638147noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2382589589569560500.post-85006538417482274482008-04-01T18:23:00.000+05:302008-04-01T18:23:00.000+05:30माफ़ी की क्या बात है,ठुमरी तो सबके लिये है,आते जाते...माफ़ी की क्या बात है,ठुमरी तो सबके लिये है,आते जाते रहे।VIMAL VERMAhttps://www.blogger.com/profile/13683741615028253101noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2382589589569560500.post-88776795169232442822008-04-01T17:34:00.000+05:302008-04-01T17:34:00.000+05:30hamko bhi bahut badhiya laga vimal da...vaise idha...hamko bhi bahut badhiya laga vimal da...vaise idhar aa gayaa maaf kar denaa.Anonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2382589589569560500.post-68247525185138350292008-04-01T15:19:00.000+05:302008-04-01T15:19:00.000+05:30आनंदजी,समीरभाई,अनूपजी,अनामदासजी,अजितभाईऔर प्रमोद, ...आनंदजी,समीरभाई,अनूपजी,अनामदासजी,अजितभाईऔर प्रमोद, अच्छा लगा कि आप सबकी राय से अवगत हुआ,डर वाली चीज़ें छोड़ कर लिखिये पर लिखिये ज़रूर,छोटी सी तो हमारी दुनियाँ है, उसमें भी हम किसी के बारे में थोड़ा बहुत भी ना जाने ये कैसे हो सकता है.VIMAL VERMAhttps://www.blogger.com/profile/13683741615028253101noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2382589589569560500.post-29268256901021129192008-04-01T00:38:00.000+05:302008-04-01T00:38:00.000+05:30शुक्रिया विमल भाई...ये हुई न बात ...तुसी दिल खुश क...शुक्रिया विमल भाई...ये हुई न बात ...तुसी दिल खुश कर दित्ता :-)<BR/>हमें मालूम था कि प्रमोदजी इसी नतीजे पर पहुंचेंगे कि हम किसी को दुखी कर रहे हैं। अरे भईया हमें तो यही खबर नहीं कि विमलजी हमारे लिए मैदान में उतर आए हैं और उनकी अपील टॉप पोस्ट बनकर ब्लागवाणी पर चमक रही है। पूरा दिन बीत गया और अब आधी रात को जाकर हमारी इस पर निगाह पड़ी। <BR/>भइया जी, हमारी चिट्ठी को एक बार फुर्सत से दोनो भाई पढ़ लीजिए। उसमें उन चिंताओं से आपको पहले ही बरी कर दिया गया है जिन्हें उजागर कर कर के आप हमे झेला रहे हैं। <BR/>बाकी हम लगे हुए है और दोनों को बकसने का कोई इरादा नहीं है।अजित वडनेरकरhttps://www.blogger.com/profile/11364804684091635102noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2382589589569560500.post-30657915428892403032008-04-01T00:23:00.000+05:302008-04-01T00:23:00.000+05:30अरे विमल भइयाअजित भाई को मना नहीं किए हैं हम, खाली...अरे विमल भइया<BR/>अजित भाई को मना नहीं किए हैं हम, खाली इतने कहे हैं कि डर लग रहा है, हिम्मत नहीं पड़ रही है, थोड़ा लाउडली थिंकिंग किए हैं.अनामदासhttps://www.blogger.com/profile/10451076231826044020noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2382589589569560500.post-6398824317401434402008-03-31T23:14:00.000+05:302008-03-31T23:14:00.000+05:30धांसू लिखे हैं विमल भाई।धांसू लिखे हैं विमल भाई।अनूप शुक्लhttps://www.blogger.com/profile/07001026538357885879noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2382589589569560500.post-32318850680130083772008-03-31T23:05:00.000+05:302008-03-31T23:05:00.000+05:30समझाने के लिए मैं था नहीं जो तुम दूसरों के पास गए?...समझाने के लिए मैं था नहीं जो तुम दूसरों के पास गए? खैर, मैं हूं, बताओ क्या बात है? अजित दुखी कर रहे हैं? कि अनामदास? ये अज़दक कौन है, फिर कवनो थुरायेवाला काम किहिस है, का?azdakhttps://www.blogger.com/profile/11952815871710931417noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2382589589569560500.post-72449656232978237782008-03-31T18:52:00.000+05:302008-03-31T18:52:00.000+05:30अरे आपको कौन समझायेगा साहेब.आप तो छप ही चुके हैं औ...अरे आपको कौन समझायेगा साहेब.आप तो छप ही चुके हैं और हम भी कहाँ कह रहे हैं कि अजित जी गलत कर रहे हैं. आप बिल्कुल ठीक कह रहे हैं. :)Udan Tashtarihttps://www.blogger.com/profile/06057252073193171933noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2382589589569560500.post-36024112692876202542008-03-31T18:46:00.000+05:302008-03-31T18:46:00.000+05:30बिलकुल ठीक कहा आपने। खुद तो विमल जी की पत्री पढ़ ल...बिलकुल ठीक कहा आपने। खुद तो विमल जी की पत्री पढ़ लिया और अपनी बारी आई तो टालमटोल करने लगे :)<BR/><BR/>और इसमें ना समझने वाली कौन सी बात है? दोनों महापुरुष लिखने के पहले की भूमिका बना रहे हैं। लेकिन थोड़ी ना-ना तो करनी पड़ती है। हमारे यहाँ बारातों में भी कोई फूफा या मौसा पहले मना करते ही हैं कि मुझे डांस नहीं आता, पर यदि हाथ पकड़कर खींचो तो ऐसा तेज नाचते हैं कि बाजा वाले अपना बाजा बजाना भूल जाते हैं। - आनंदआनंदhttps://www.blogger.com/profile/08860991601743144950noreply@blogger.com