Tuesday, November 11, 2008

उनकी आवाज़ का जादू गज़ब है, पंडित छन्नू लालजी सबसे अलग हैं !!

पंडित छन्नू लाल मिश्र जी की आवाज़ के बारे बहुत कुछ लिखा जा चुका है, यूनुस जी ने अपने ब्लॉग पर उनके बारे में बड़े तफ़्सील से लिखा था, ,मैने भी उनके बारे लिखा था, पर उस समय तकनीकी मामले में अपना मामला थोड़ा कमज़ोर था तो सिर्फ़ एक पोस्ट ही लिख पाया था, पंडितजी की मधुर आवाज़ नहीं सुनवापाने का आज तक अफ़सोस है ,और बहुत दिनों से ये भी मेरे दिल में तीर की तरह चुभ रहा था कि पंडित जी की आवाज़ को अगर अपनी ठुमरी में शामिल नही किया तो अपनी ये ठुमरी अधूरी ही रह जाएगी....तो आज कुछ ऐसा करने की सोच रहा हूँ कि और भी मित्रों ने पंडितजी पर पोस्ट लिखी हो उसका भी लिंक इधर देता चलूँ कि एक ही जगह पंडितजी की ज़्यादा से ज़्यादा रचना आप सुन सकें....आपका जब भी मन करे इस पोस्ट को खोल कर पंडितजी की रचनाएं तसल्ली से सुन सकते हैं,अपने अविनाश जी के ब्लॉग दिल्ली दरभंगा छोटी लाईन पर भी आपने उन्हें सुना है,भाई युनूस के ब्लॉग रेडियोवाणी पर पंडित जी पर बहुत बढ़िया पोस्ट चढ़ाई थी उसका भी लिंक यहाँ देना ज़रूरी समझा,आज ठुमरी पर उनकी रचनाओं को आप तक पहुँचाने में एक अलग सा मज़ा मिल रहा है, उनकी तारीफ़ में लिखना कुछ लिखना मुझे बहुत यांत्रिक सा लगेगा बस इतना कि जब पंडितजी गाते गाते समझा रहे हों वो अदा भी मन में अंकित हो ही जाता है...............भोजपूरी अंचल का रस उनकी आवाज़ में है,खांटी गऊँठी आवाज़ जिसकी मिट्टी ही अलग किस्म की है आपके कानों तक पहुंचकर सुकून देते है, तो लीजिये रस पंडित छन्नू लाल जी की मधुर आवाज का....
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11 comments:

संजय पटेल said...

मोरे बलमा अजहुँ न आए ...राग मारूबिहाग में रची बंदिश है विमल भाई. छन्नूलालजी गाते हैं जैसे हम बनारस में गंगाजी में चल रहे बजरे पर बैठे पूरनमासी के चाँद को निहार रहे हैं.उनकी सादा तबियत उनके स्वर में भी अभिव्यक्त होती है.उसमें किसी तरह का गिमिक या छदम रूप नज़र नहीं आता . विदूषी गिरिजा देवी ,राजन साजन मिश्र के साथ छन्नूलालजी ऐसे स्वर-साधक हैं जिनके परिदृष्य पर होने से बनारसी ठाठ की आन बनी हुई है.

VIMAL VERMA said...

संजय भाई मुझे जो अच्छा लगता है...उसे ठुमरी पर सुनवाता रहता हूँ पर आपकी टिप्पणी जब भी आती है उसे बड़ी गम्भीरता से लेता हूँ,मुझे खुशी है कि आप जैसों का साथ इस माध्यम से जुड़ने के बाद मिला, हम हर पल सीख ही तो रहे होते हैं पंडितजी के बारे में जो आपकी उपमाएं है उसका जवाब नहीं...शुक्रिया जो आप पधारे

Udan Tashtari said...

छ्न्नू लाल जी को सुन कर मन प्रफ्फुलित हो गया. बहुत आभार आपका.

Manoshi Chatterjee मानोशी चटर्जी said...

क्या बात है! जैसी गायकी वैसे ही तबले पर सधे हाथ। राग मारुबिहाग...कितना सुंदर...काम से आ कर इसे सुना, मन की सारी थकान उतर गई। शुक्रिया।

Smart Indian said...

दिव्य स्वर, धन्यवाद!

Yunus Khan said...

छन्‍नूलाल जी को सुनना एक सौभाग्‍य है ।
वो एक दिव्‍य स्‍वर हैं । बहुत शुक्रिया ।

अफ़लातून said...

घर की मुर्गी पर नहीं कहना कुछ।

एस. बी. सिंह said...

पंडित जी मेरे भी प्रिय गायक हैं। पोस्ट के लिए साधुवाद

Rajesh Joshi said...

गुरू... क्या जबरजस्त फ़ोटो लगाया है... बिलकुल बिंदास. और छन्नूलाल जी को सुनकर पवित्र विचारो से घिर गया. क्या आपके पास से ठुमरी में लगे चुनींदा संगीत को चुराया जा सकता है? धन्यवाद.

सागर नाहर said...

विमल भाई साहब
प्लेयर लगाने के तरीके पर एक पोस्ट लिखी है। लिंक यहाँ पेस्ट कर रहा हूँ। आपका मेल पता ना होने के कारण यहाँ टिप्पणी कर रहा हूँ।
पॉडकास्टर; क्या आप प्लेयर बदल बदल कर थक चुके हैं?
sagarnahar et gmail.com

Rakesh Singh - राकेश सिंह said...

वाह ... वाह ... विमल जी आप सुन्दर कार्य कर रहे हैं |

ऐसे दुर्लभ संगीत सुनकर मन प्रफुल्लित है ... बंगलोरे में काफी कोशिश की पर पंडित छन्नूलाल मिश्र जी का एक भी एल्बम नहीं मिला ...

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