Tuesday, September 15, 2020

आज की पीढ़ी के अभिनेताओं को हिन्दी बारहखड़ी को समझना और याद रखना बहुत जरुरी है.|

 


पिछले दिनों  नई  उम्र के बच्चों के साथ Ambrosia theatre group की ऐक्टिंग की पाठशाला में  ये समझ में आया कि आज की पीढ़ी के साथ भाषाई तौर पर बहुत अन्याय हुआ है  अंग्रेजी  की पढ़ाई की वजह से अमूमन हर बच्चा A, B, C, D बोलने में  हिचकता नहीं है पर ज्यों ही उसे कहा जाए कि  क ख ग घ  याद  है ?  तो अमूमन 90 % बच्चों को याद नहीं रहता यहाँ   आज के युवाओं  को भी शामिल कर लें तो सभी बोलते समय झेंपते ही हैं  ....मुंबई मायानगरी में   हर प्रांत से लोग अपनी किस्मत आजमाने आते तो हैं लेकिन  हिन्दी भाषीय  राज्यों  से लेकर  गैर हिन्दी भाषी  प्रदेशों के बच्चों को हिन्दी की वर्णमाला  के बारे में अज्ञानता , भाषा को लेकर उदासीनता अखरती है  इसी को ध्यान में रखकर लगा कि ये पोस्ट जरूरी हो गया है |









बारहखड़ी (Hindi Barakhadi) से हिन्दी वर्णमाला और उनके मात्रा को समझने में आसानी होती है. इससे हिन्दी शब्दों को आसानी से पढने और लिखने में मदद मिलती है यदि हमे बारहखड़ी की अभ्यास न हो तो अच्छे तरीके से हिन्दी के शब्दों को न बोल पाएंगे न ही लिख पायंगे इसलिए हिन्दी बारहखड़ी  को समझना और याद रखना बहुत जरुरी है.

 बारहखड़ी किसे कहते हैं? 

हिन्दी भाषा में व्यंजनों और स्वरों के आपस में जुड़ने से बनने वाले अक्षरों के सूची को बारहखड़ी कहते हैं.

Barakhadi of ‘क’

क + अ (k + a) = क (ka)
क + आ (k + aa) = का (kaa)
क + इ (k + i) = कि (ki)
क + ई (k + ee) = की (Kee)
क + उ (k + u) = कु (ku)
क + ऊ (k + oo) = कू (koo)
क + ए (k + ae) = के (ke)
क + ऐ (k + ai) = कै (kai)
क + ओ (k + o) = को (ko)
क + औ (k + au) = कौ (kau)
क + अं (k + an/m) = कं (kan/m)
क + अः (k + ah) = कः (kah)

ऊपर दिए गए ‘क’ अक्षर के बारहखड़ी को जिस प्रकार से दर्शाया गया है और जो जो मात्राएँ दी गयी हैं उसी प्रकार से बाकि सभी हिन्दी स्वर वर्णों में भी लागू होंगे इसलिए इस सूची को याद कर लें.

हिन्दी बारहखड़ी (Hindi Barakhadi)

क 
Ka 
का
Kaa
कि  Kiकी
Kee 
कु
Ku
 कू
Koo
के
Ke
कै
Kai
को
Ko
कौ
Kau
कं
Kan
कः
Kah

Kha
खा 
Khaa
खि
Khi
खी
Khi
खु
Khu
खू 
Khoo
खे
Khe
खै
Khai
खो
Kho
खौ
Khau
खं
Khan
खः
Khah

Ga
गा
Gaa
गि
Gi
गी
Gee
गु
Gu
गू
Goo
गे
Ge
गै
Gai
गो
Go
गौ 
Gau
गं
Gan
गः
Gah
घ 
Gha
घा
Ghaa
घि
Ghi
घी
Ghee
घु
Ghu
घू 
Ghoo
घे
Ghe
घै
Ghai
घो
Gho
घौ
Ghau
घं
Ghan
घः
Ghah

Cha
चा
Chaa
चि 
Chi
ची
Chee
चु
Chu
चू
Choo
चे
Che
चै
Chai
चो
Cho
चौ
Chau
चं
Chan
चः
Chah

Chha
छा
Chhaa
छि
Chhi
छी
Chhee
छु
Chhu
छू
Chhoo
छे
Chhe
छै
Chhai
छो
Chho
छौ
Chhau
छं
Chhan
छः
Chhah

Ja
जा
Jaa
जि
Ji
जी
Jee
जु
Ju
जू
Joo
जे
Je
जै
Jai
जो
Jo
जौ
Jau
जं
Jan
जः
Jah

Jha
झा
Jhaa
झि
Jhi
झी
Jhee
झु
Jhu
झू
Jhoo
झे
Jhe
झै
Jhai
झो
Jho
झौ
Jhau
झं
Jhan
झः
Jhah

ट   टा     टि   टी    टु    टू      टे    टै     टो 

Ta taa  ti    tee  tu  too  te   tai   to

ठ      ठा        ठि   ठी       ठु    ठू      

Tha  thaa   thi  thee  thu  thoo

ढ       ढा      ढि    ढी               

Dha dhaa dhi  dhee

ण   णा    णि  णी    णु       णे   

Na naa ni   nee  nu     ne

त   ता    ति   ती    तू

Ta taa  ti    tee  to

थ     था       थि   थी     थु     थू    थे  थै       थो    थौ      थं         थः

Tha  thaa  thi  the  thu   thoo  the  Thai   tho thau  tham  thah

द    दा     दि   दी     दु    दू      दे    दै     दो  दौ     दं        दः

Da  daa di   dee du  doo de  dai  do  Dau  dam  dah

ध      धा        धि    धी        धु     धू   धे     धै       धो     धौ        धं 

Dha  dhaa  dhi   dhee  dhu  dhoo Dhe dhai  dho  dhau  dham

न    ना     नि   नी     नु    नू       ने     नै  नो   नौ       नं       नः

Na  naa ni   nee  nu  noo  ne   nai  No  nau   nam  nah

प    पा     पि  पी     पु     पू      पे    पै  पो   पौ    पं      पः

Pa  paa  pi  pee  pu  poo  pe pai  Po pau  pan  pah

फ     फा       फ़ि  फी      फु     फू         फे     फै    

Pha phaa phi  phee  phu  phoo   phe Phai

ब    बा     बि  बी    बु    बू      बे   बै     बो बं     

Ba  baa bi  bee bu  boo be  bai  bau Bam

भ     भा       भि  भी       भु      भू       भे  भै       भो    भौ      भं        भः

Bha  bhaa bhi bhee  bhu  bhoo bhe Bhae bho bhau bham bhah

म    मा      मि    मी      मु     मू       मे    मै  मो    मौ       मं        मः

Ma maa mi   mee  mu moo me mai Mo  mau  mam  mah

य   या    यि  यी     यु    यू      ये    यै    यो  यौ     यं       यः

Ya yaa yi   yee  yu  yoo  ye  yai  yo Yau  yam yah

र     रा     रि   री     रु    रू     रे    रै     रो  रौ      रं       रः

Ra  raa  ri    ree  ru   roo  re  rai  ro rau  ram  rah

ल    ला   लि  ली   लु   लू    ले   लै   लो लौ  लं        लः

La  laa  li   lee  lu  loo  le   lai lo  lau  Lam   lah

व    वा     वि  वी     वु    वू     वे    वै     वो  वौ     वं       वः

Va  vaa  vi  vee  vu  voo ve  vai  vo Vau  vam vah

श     शा      शि   शी      शु    शू       शे  शै      शो     शौ       शं     

Sha shaa shi shee shu shoo she  Shai shao shau sham

ष   षा    षि    षी      षु      षू       षे    

Sh sha shi shee  shu shoo she

स   सा     सि  सी    सु   सू     से   सै   सो  सौ     सं     सः

Sa  saa  si  see su  soo se sai so  Sau sam sah

ह    हा    हि  ही     हु   हू      हे   है    हो  हौ     हं       हः

Ha haa hi  hee hu hoo he hai ho  Hau ham hah

क्ष     क्षा     क्षि     क्षी       क्षु

Ksh ksha kshi kshee kshu

त्र   त्रा   त्रि  त्री     त्रु    त्रू       त्रो   त्रौ    

Tr  tra tri  tree tru  troo tro  trau

ज्ञ ज्ञा


Friday, December 14, 2018

जीवन के रंग को तलाशता एक नाटक " रंगरेज़ "


रंगरेज़ .....जी हां  ....... अंतोन चेखव की कहानी पर आधारित  नाटक है ... आज से तीस साल पहले पटना इप्टा के साथ काम करते हुये चेखव की कहानी के बारे में एक निश्चय मन में ज़रूर  कर लिया था कि इस पर जब कभी समय मिला  तो नाटक ज़रूर  करेँगे ....मुम्बई में करीब सत्ताईस अट्ठाईस साल गुज़ारने के बाद उसका भी समय आ गया जब मनोज वर्मा ने पंकज त्यागी के साथ मिलकर करीब 4 महीने की थका देने वाली बहस, करीब बीसियों बार संपादन  करने के बाद नाटक प्रदर्शन के लिये तैयार था , फिर नाटक के कलाकारों  की तलाश शुरु हुई   ...ज़्यादातर ऐक्टर टेलिविज़न से जुड़े  थे, शूटिंग और ऑडिशन के बीच  रिहर्सल के लिये समय निकालना वाकई दुरुह काम था ...बहुत से  कलाकार  आये और  बीच- बीच में आते जाते रहे... एक समय तो ऐसा लगा कि मुम्बई में टीवी के ऐक्टरों के साथ काम करना जैसे तराज़ू में मेंढक तौलने जैसा ही है पर वीपरीत परिस्थितियों के बावजूद नाटक अंतत: तैयार हो ही गया 






मनोज वर्मा  के निर्देशन में इस नाटक में 6 कलाकार में दो ही कलाकार थे  जिन्हें रंगमंच का लंबा अनुभव था  ... मराठी रंगमंच की ख्यातिलब्ध उत्कर्षा नाईक जिन्होंने गुजराती व मराठी नाटकों के सैकड़ों नाटक के हज़ारों  प्रदर्शन कर चुकी टेलीविज़न धारावाहिकों में आज भी बहुत  लोकप्रिय हैं , पिछला नाटक उत्कर्षा ने आज से 25 साल पहले किया था प्रसिद्ध नाटय निर्देशक विजया मेहता के निर्देशन में नाटक “पुरुष” नाना पाटेकर के साथ अभिनय कर चुकी, जिसके  सैकड़ों प्रदर्शन का  चुकी है .... और अभिजीत लाहिरी मुम्बई  आने से पहले दिल्ली के राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय के रेपर्टरी के मुख्य  अभिनेता रहे हैं सैकडों  नाटकों के हज़ारों प्रदर्शन का अनुभव था पर मुम्बई में पहली बार स्टेज पर पदार्पण कर रहे थे



नाटक की कहानी कुछ तरह है कि नाटक का नायक  यथास्थिति के खिलाफ़ बदलाव में विश्वास रखने वाला कवि-चित्रकार भास्कर (शार्दुल पंडित)अपने शहर की आपाधापी से ऊबकर पहाड़ों पर अपनी छुट्टियां बिताने के उद्देश्य से आया तो था पर वहां उसकी मुलाकात नायिका मीसू  से होती है और मीसू से मिलने के बाद उसे इस बात का एहसास होने लगता है कि उसके पास जितने रंग हैं वो काफी नहीं है । भास्कर की मुलाकात वहां मिसेज़ सिंह से होती है जिनका मानना है कि जीवन एक संगीत है उसका आनंद लो उसे समझने की कोशिश मत करो ,प्यास है तो पीयो , क्या करोगे ये जानकर कि प्यास का क्या अर्थ है और पानी का क्या अर्थ है अगर ढूंढने ल्गोगे त्प प्यास नार डालेगी ....सांस लेते हो तो ये नहीं सोचते कि सांस क्यों ले रहे हैं इसे गणित की तरह समझने की कोशिशमत करो ,जईवन कोई   व्यापार  नहीं है ये एक उत्सव है ...हां  जीने का अर्थ ज़रूर समझो । 



नायक भास्कर  एक व्यापारी मिस्टर ऑल्टर (अभिजीत लाहिरी) का मेहमान है और मिस्टर ऑल्टर अपनी सामाजिक हैसियत से बिंदास खुशदिल इंसान हैं और ऐसे बुद्धिजीवियों- कलाकारों की सोहबत में रहने का शौक भी रखते है ।
उसी शहर में पड़ोस में रहने वाली मिस उनियाल (परी गाला ) खानदानी अमीर परिवार  से जुड़ी हैं सामाजिक कार्यों  में हाथ बंटाती है । स्कूल में पढाती है और सारा समय सामाजिक कार्यों  में या अपने एनजीओ में लगाती हैं ।
 मिस उनियाल की छोटी बहन  मीसू  है जिसे प्रकृति से बहुत प्यार है, जीवन उसके लिये बहती नदी की अविरल धारा है , एक समय मीसू चित्रकार भास्कर की प्रेरणा बन जाती है और भास्कर मीसू के प्यार में पड़ जाता है । मिस उनियाल के विचार में कलाकार और कला का समाज के बदलाव में कोई कोई भूमिका नहीं होती और  भास्कर के बारे में भी मिस उनियाल की यही राय है .... । नाटक रंगरेज़ प्रेम ,विचार समाज और कला के अंतर्विरोध को उजागर करता है ।



नाटक में बीच बीच दर्शकों की तालियां बयान कर रही थीं कि नाटक अपने  अर्थपूर्ण संवाद और निर्देशन की वजह से दर्शकों के बीच  तादात्म्य बैठाने में सफ़ल रहा ।
 मिसेज़ सिंह की भूमिका में उत्कर्षा नाईक ने अपने किरदार साथ न्याय किया  उनके  अभिनय को लंबे समय तक याद किया जायेगा ....मिस्टर ऑल्टर की भूमिका में अभिजीत लाहिरी भी खूब जम रहे थे , नायक और नायिका की भूमिका में भास्कर ( शार्दुल पंडित) और मीसू ( चारू मेहरा ) सामान्य से लगे । मि उनियाल की भूमिका में (परी गाला) ने प्रभावित किया । प्रियदर्शन पाठक का संगीत कहीं कहीं कमज़ोर लगा  पर मनोज वर्मा के निर्देशन से आशा जगती है कि हिंदी रंगमंच पर मौलिक नाटक की प्रस्तुति का जोखिम मनोज डंके की चोट पर ले सकते हैं ...हम निर्देशक मनोज वर्मा से उम्मीद कर सकते हैं कि वो हिंदी में नाटक या हिंदी के नाटक या अनुदित नाटक की बहस में न  पड़्ते और नये या मौलिक नाटकके मंचन  का जोखिम  लेते रहेंगे ,  एम्ब्रोसिया थियेटर ग्रुप का यह प्रयास सराहनीय कहा जायेगा ।


Sunday, November 4, 2018

सुरीनामी भोजपुरी के प्रसिद्ध गायक राज मोहन !!

जब से फेसबुक पर  लोगों  का  आना  जाना  हुआ  तब से  मैं अपने  ब्लॉग ठुमरी   को समय ही नहीं दे पा रहा हूं परजबसे  राजमोहन  जी को सुना  है  तबसे उनके  रचे गीत  पर  थोड़ी चर्चा  करना  चाह रहा था पर  ये काम  भी हो नहीं पा रहा  था  ,राजमोहन  जी गिरमिटिया  मजदूरों के परिवार  की पांचवीं पीढ़ी से संबंध रखते हैं ,  हॉलेंड   में  रहते हैं  ,बचपन  उनका  सुरीनाम  में  बीता  हॉलेंड में रहकर  अपने पुर्वजों की धरती हिंदोस्तान  से बहुत प्यार है  उन्हें ‌‌‌ । राजमोहन  का  लिखा  एक गीत मुझे  पसंद है  राजमोहनजी अपनी भाषा भोजपुरी  नहीं सुरीनामी भोजपुरी का नाम देते है । आधुनिक  समय के गायक हैं   पहले  उनकी गायी  हुई  इस रचना  को सुनिये  बाकी बाते  बाद में करतेहैं ।




Friday, December 8, 2017

हमेशा देर कर देता हूँ मैं - मुनीर नियाज़ी

हमेशा देर कर देता हूँ मैं

हर काम करने में ज़रूरी बात कहनी हो,

कोई वादा निभाना हो उसे आवाज़ देनी हो,

 उसे वापस बुलाना हो हमेशा देर कर देता हूँ मैं,

मदद करनी हो उस की,

यार की ढाढस बंधाना हो बहुत देरीना रस्तों पर,

किसी से मिलने जाना हो हमेशा देर कर देता हूँ

 मैं बदलते मौसमों की सैर में,

दिल को लगाना हो किसी को याद रखना हो,

किसी को भूल जाना हो हमेशा देर कर देता हूँ

मैं किसी को मौत से पहले,

किसी ग़म से बचाना हो हक़ीक़त और थी कुछ,

  उस को जा के ये बताना हो हमेशा देर कर देता हूँ मैं हर काम करने में !!

Wednesday, October 28, 2015

तुम बिल्कुल हम जैसे निकले - फ़हमिदा रियाज़

तुम बिल्कुल हम जैसे निकले अब तक कहां छुपे थे भाई?
वह मूरखता, वह घामड़पन जिसमें हमने सदी गंवाई
आखिर पहुंची द्वार तुम्हारे अरे बधाई, बहुत बधाई

 भूत धरम का नाच रहा है कायम हिन्दू राज करोगे?
सारे उल्टे काज करोगे? अपना चमन नाराज करोगे?
तुम भी बैठे करोगे सोचा, पूरी है वैसी तैयारी,

 कौन है हिन्दू कौन नहीं है
तुम भी करोगे फतवे जारी
वहां भी मुश्किल होगा जीना
दांतो आ जाएगा पसीना
जैसे-तैसे कटा करेगी

वहां भी सबकी सांस घुटेगी
माथे पर सिंदूर की रेखा
कुछ भी नहीं पड़ोस से सीखा!
क्या हमने दुर्दशा बनायी
कुछ भी तुमको नज़र न आयी?

भाड़ में जाये शिक्षा-विक्षा, अब जाहिलपन के गुन गाना,
आगे गड्ढा है यह मत देखो वापस लाओ गया जमाना


हम जिन पर रोया करते थे
 तुम ने भी वह बात अब की है
बहुत मलाल है हमको,
 लेकिन हा हा हा हा हो हो ही ही
कल दुख से सोचा करती थी
 
सोच के बहुत हँसी आज आयी
तुम बिल्कुल हम जैसे निकले
हम दो कौम नहीं थे भाई मश्क करो तुम, आ जाएगा
उल्टे पांवों चलते जाना,
दूजा ध्यान न मन में आए

बस पीछे ही नज़र जमाना
 एक जाप-सा करते जाओ,
बारम्बार यह ही दोहराओ
कितना वीर महान था भारत!
कैसा आलीशान था भारत!

फिर तुम लोग पहुंच जाओगे
बस परलोक पहुंच जाओगे!
हम तो हैं पहले से वहां पर,
तुम भी समय निकालते रहना,
अब जिस नरक में जाओ,
वहां से चिट्ठी-विट्ठी डालते रहना





Sunday, July 20, 2014

आपकी ख़िदमत में पेश हैं चंद शेर …तो अर्ज़ किया है …





ऐसा शेर, जिसको पढ्ते हुये ज़िन्दगी के कमज़ोर पलों में आपका मुर्झाया चेहरा मुस्कान से खिल उठता हो , ज़रा गौर फ़रमाइये और ध्यान से सुनिये।

  मौजे दरिया देखकर कश्ती में घबरायेंगे सब, मेरा क्या है , 
 मैं तो नाख़ुदा की कांख में घुस जाउंगा !! 

इस शेर में कांख की जगह कुछ और है इस पर चर्चा फिर कभी, लेकिन यहां मौज़ू ये है कि, शायद इस शेर के जवाब, बहुत से शायरों ने अपने - अपने अंदाज़ में दिया है, यहाँ कुछ शेर लगता है कि इसी शेर के जवाब में ही लिखे गये हों उनकी बानगी तो देखिये …

  अच्छा यकीं नहीं है तो कश्ती डुबो के देख , 
एक तू ही नाख़ुदा नहीं ज़ालिम, ख़ुदा, भी है !! कतील शिफ़ाई !! 

तुम ही तो हो जिसे कहती है नाख़ुदा दुनिया , 
बचा सको तो बचा लो , कि डूबता हूं मैं !! मजाज़ !! 

गर डूबना ही अपना मुकद्दर है तो सुनों, 
 डूबेंगे हम ज़रूर , मगर नाख़ुदा के साथ !! कैफ़ी आज़मी !!  

 आने वाले किसी तूफ़ान का रोना लेकर ,
 नाख़ुदा ने मुझे साहिल पर डुबोना चाहा !! हफ़ीज़ जलंधरी!!

  न कर किसी पर भरोसा, के कश्तियाँ डूबे ! 
ख़ुदा के होते हुये, नाख़ुदा के होते हुये !! अहमद फ़राज़, !! 

नाख़ुदा डूबने वालों की तरफ़ मुड़ के न देख ,
 ना करेंगे, ना किनारों की तमन्ना की है !! सलीक लखनवी !! 

जब सफ़ीना मौज से टकरा गया ,
नाख़ुदा को भी ख़ुदा याद आ गया !! फनी निजामी कानपुरी !! 

नाख़ुदा को ख़ुदा कहा है, 
तो फिर डूब जाओ ,ख़ुदा ख़ुदा न करो !! सुदर्शन फ़ाकिर !! 

किनारों से मुझे ऐ नाख़ुदा दूर ही रखना ! 
वहां लेकर चलो, तूफ़ां जहां से उठने वाला है !! अली अहमद जलीली !!

 हसान नाखुदा का उठाए मेरी बला ! 
 कश्ती खुदा पे छोड़ दूं लगर को तोड़ दूं !! ज़ौक !!

 # नाख़ुदा = खिवैया

Tuesday, February 4, 2014

बसंत ॠतु के आगमन पर

बसंत ॠतु  पर रचनाएं तो बहुत हैं पर आज की ताज़ा, नई युवा और दमदार आवाज़  को ढूंढना भी वाकई एक दुरूह कार्य है, पुरानी रेकार्डिंग में तो कुछ रचनाएं मिल तो जायेंगी,  भाई यूनुस जी के रेडियोवाणी  पर बहुत पहले  वारसी बधुओं की आवाज़ में इस रचना को सुना था और पिछले साल मैने इस रचना को सारा रज़ा ख़ान की आवाज़ में सुना था तब से इसी मौके की तलाश थी, 
पड़ोसी देश पाकिस्तान की सारा रज़ा ख़ान की मोहक आवाज़ में अमीर ख़ुसरो की इस रचना  का आप भी लुत्फ़ लें | 





फूल रही सरसों, सकल बन (सघन बन) फूल रही.... 
फूल रही सरसों, सकल बन (सघन बन) फूल रही.... 

अम्बवा फूटे, टेसू फूले, कोयल बोले डार डार, 
और गोरी करत
सिंगार,लिनियां गढवा ले आईं करसों, 
सकल बन फूल रही... 

तरह तरह के फूल लगाए, ले गढवा हातन में आए । 
निजामुदीन के दरवाजे पर, आवन कह गए आशिक रंग, 
और बीत गए बरसों । 
सकल बन फूल रही सरसों ।






आज की पीढ़ी के अभिनेताओं को हिन्दी बारहखड़ी को समझना और याद रखना बहुत जरुरी है.|

  पिछले दिनों  नई  उम्र के बच्चों के साथ  Ambrosia theatre group की ऐक्टिंग की पाठशाला में  ये समझ में आया कि आज की पीढ़ी के साथ भाषाई तौर प...