Saturday, May 31, 2008

प्यार नहीं है जिसका सुर से वो मूरख इंसान नही.....

ये रचना उन्हें समर्पित है जिन्हें संगीत और सुर से परहेज है, जो संगीत की महत्ता को नकारते हैं, पर संगीत की ताक़त से अंजान हैं, तो पेश है .....उस्ताद अमानत अली खाँ और उस्ताद फ़तेह अली खाँ साहब.....की गायी ये रचना ।


उस्ताद अमानत अली खाँ-उस्ताद फ़तेह अली खाँ

प्यार नहीं है जिसका सुर से वो मूरख इंसान नही...........




प्यार नहीं है सुर से जिसको वो मूरख इंसान नहीं है,

जग मे गर संगीत न होता, कोई किसी का मीत न होता,

ये एहसान है, सात सुरों का, ये दुनियाँ वीरान नहीं,

सुर इंसान बना देता है, सुर रहमान मिला देता है,

सुर की आग में जलने वाले परवाने नादान नहीं।

Wednesday, May 28, 2008

एक लोकगीत की चटनी.....

हिन्दोस्तान के प्रसिद्ध लोक गायक राम कैलाश यादव एक ऐसी शक्सियत हैं, जिनके बारे में बहुतों को पता नहीं है..पर उन्होने लोकगीतों के माध्यम से समाजिक कुरीतियों पर बहुत व्यंग भी किये है, पर आज मैं उनकी गायी प्रसिद्ध कजरी सुनाता हूँ,कौने रंग मूंगवा कवनवें रंग मोतिया ..... साथ साथ आपको वही लोक गीत करेबियन चटनी गायक राकेश यनकरण की आवाज़ में उसी कजरी को सुना, तब से यही सोच रहा हूँ कि ये गाना कब लिखा गया होगा...और आज भी कैरेबियन द्वीप समूह में पूरे ताम झाम के साथ गाया जा रहा है....तो पहले सुनिये राम कैलाश जी की आवाज़ में इस कजरी को...


और इसी कजरी, कौने रंग मुंगवा कवनें रंग मोतिया ...को चटनी के अंदाज़ में गा रहे हैं राकेश यनकरण.....

Monday, May 26, 2008

नैना मोरे तरस गये....उस्ताद मुबारक अली खाँ

उस्ताद मुबारक अली खां साहब के नाम की तारीफ़ मेरे मित्र मयंक राय बहुत किया करते हैं, तो खोज खाज कर निकाल लाया हूँ आपके लिये.... तारीफ़ में बहुत कुछ कह जा सकता पर किसी की तारीफ़ में जो शब्द आप खर्च करे वो मैं आप लोगों से सुनना चाहता हूँ... तो इस रचना को सुनिये, आवाज़ है, पाकिस्तान के उस्ताद मुबारक अली खां साहब की.....आप ही बताइये सुन कर कैसा लगा. इस रचना को उस्ताद मुबारक अली खाँ साहब ने लाहौर के चित्रकार गैलरी के जलसे में कभी गाया था, उसी कि रिकार्डिंग है....

नैना मोरे तरस गए......

Saturday, May 24, 2008

मेरा मन भी गरियाने को कर रहा है....पर गरियाउँ किसे ?

हां मेरा मन भी गरियाने को कर रहा है....पर गरियाउँ किसे ? इन दिनो तो ब्लॉग जगत में फ़िर थोड़ी हलचल सी मची है...ब्लॉग जगत की साहित्य मंडली में बह्स छिड़ी हुई है,पर हम गाने बजाने वालों को इससे क्या ? इस पचड़े में जिन्हें पड़ना है पड़े...........ऐसी स्थिति में हम शुरू से वो वाले रहे हैं,लड़ाई झगड़ा माफ़ करो, कुते की लेंड़ी साफ़ करो......तो अब आप भी इसी उम्मीद में इधर आए होंगे कि गरियाने की बात कर रहा है ज़रूर किसी के समर्थन में बात कर रहा होगा चलो देखा जाय आज ठुमरी पर क्या है.?.तो मेरे मित्रों आज आपको मायूस भी नहीं करना चाहता ,मै तो बीच बीच में कुछ मनबहलाव के लिये कुछ गीत ग़ज़ल सुनवाने के मूड में ही रहता हूँ,
आज बहुत दिनों बाद उस्ताद राशिद खान साहब की पकी हुई आवाज़ में राग अहिर भैरव में एक रचना लेकर आया हूँ , इसे सुने....और बताएं कि चकल्लस, जो ब्लॉग जगत में मची हुई है इससे इतर ये रचना सुनकर आपके मन को सुकून पहूँचा की नहीं?
अलबेला साजन आयो रे........

Friday, May 16, 2008

रात भी है कुछ भीगी भीगी....

एक फ़िल्म मुझे जीने दो आई थी,उस फ़िल्म में सुनील दत्त साहब का रोबीला चेहरा और काला लिबास और माथे पर तिलक....घोड़े पर सवार सुनीलदत्त साहब का वो रूप आज भी मुझे याद है,इसी फ़िल्म में वहीदा रहमान ने भी काम किया था,फ़िल्म तो देखे ज़माना हो गया, कुछ भूली बिसरी यादें ही रह गईं हैं....पर गाने इस फ़िल्म के आज तक याद है...साहिर लुधियानवी के लिखे गीतों को संगीत में पिरोया था संगीतकार जयदेव ने...कमाल की धुने थी कि आज भी सुने तो मज़ा आता है...एक गाना था नदी नारे जाओ श्याम पईयाँ पड़ूँ, जिसे लता जी ने गाया था...एक गाना था अब कोई गुलशन न उजड़े अब वतन आज़ाद है जिसे मो. रफ़ी साहब ने गाया था...एक गाना और था तेरे बचपन को जवानी की दुआ देती हूँ.पर इसी फ़िल्म का एक और गीत जो आज मेरे हाथ लगा है वो है रात भी है कुछ भीगी भीगी......तो आज इसे सुना जाय और मज़ा लिया जाय..


सुनील दत्त साहब का वो चेहरा

boomp3.com

मैं हवा हूँ कहाँ वतन मेरा.....अहमद हुसैन- मोहम्मद हुसैन.....

इस गज़ल को सुनता हूँ तो बहुत सी पुरानी यादों मे खो सा जाता हूँ, अहमद हुसैन मोहम्मद हसैन साहब की जोड़ी कमाल है, गायकी में गज़ब की हारमनी पैदा करते हैं,दोनों की आवाज़ का सुरूर ही कुछ ऐसा है कि इनकी कुछ गज़लों को बार बार सुनने का मन करेगा... आज सुनिये इनकी गायी ग़ज़ल,ये उन ग़ज़लों में शामिल है जिन्हें मैने पहली बार रेडियो पर सुना था....तो पेश है गज़ल मैं हवा हूँ कहाँ वतन मेरा



बच्चों को संगीत की बारीकियाँ बताते एहमद हुसैन-मोहम्मद हुसैन


Thursday, May 15, 2008

चंदन दास की एक गज़ल.....

आज चंदन दास की एक गज़ल सुनिये,वैसे चाहता तो था कि और भी गज़लें जो मुझे पसंद हैं चंदन दास की वो सुनवाता पर आज एक ही ग़ज़ल सुनिये....चंदन दास की आवाज़ दमदार है पर ना जाने क्यौं उनकी गज़लों की फ़ेहरिस्त बहुत छोटी है....कुछ ही गज़लें मुझे पसन्द आयीं थी....जिसमें एक तो खुशबू की तरह आया, वो हवाओं में.. मुझे बहुत पसन्द है, आज भी कभी सुनने को मिल जाता है तो मज़ा आ जाता है। आज उनकी एक ग़ज़ल सुनिये और आनन्द लीजिये....



न जी भर के देखा न कुछ बात की....

Friday, May 9, 2008

एक ठुमरी सेक्सोफ़ोन पर....

खास बात है कि आपको आज सेक्सोफ़ोन पर ठुमरी सुनाने का मन कर रहा है वैसे भी शहनाई पर तो उस्ताद बिस्मिल्लाह खां साहब ने तो बहुत सी यादगार धुनें सुनाई हैं....पर सेक्सोफ़ोन पर आज राग भैरवी में ठुमरी का आनन्द लीजिये,ये रचना चुंकि नेट सर्च पर मिली है इसलिये बहुत कुछ बताने की अपनी स्थिति है ही नहीं...अब जो जानता हो हमें बताए...बस मुझे इतना पता है कि राशिद खा़न ने इसे लाहौर में कहीं बजाया था..अब मुझे तो ये भी नहीं पता कि ये अपने उस्ताद राशिद ख़ान हैं या पाकिस्तान के कोई राशिद खा़न हैं...सेक्सोफ़ोन पर ठुमरी सुनना सुखद लगा तो आपके लिये भी परोस रहा हूँ...कैसा लगा? बताईयेगा ।

Sunday, May 4, 2008

आ गया मनोरंजन का बाप.....

आ गया मनोरंजन का बाप अगर नहीं देखा हो तो इस वीडियो को ज़रूर देखें,कम समय में इसने सास बहू को छ्ठी का दूध याद दिला दिया.... मनोरंजन चैनलों को पसीना छुडा दिया है जिसने....खबरिया चैनल इसकी आग में रोटी सेक रहे हैं....इसका बुखार तेज़ी से अपने पाँव पसार रहा है,बड़े बड़े सितारे मिट्टी में मिलते जा रहे है...पैसे की नदी बह रही है.....लोग जीत और हार में उमंग महसूस कर रहे हैं, अरे नहीं समझे तो इस वीडियो को क्लिक करके खुद ही देख लीजिये.....

आज की पीढ़ी के अभिनेताओं को हिन्दी बारहखड़ी को समझना और याद रखना बहुत जरुरी है.|

  पिछले दिनों  नई  उम्र के बच्चों के साथ  Ambrosia theatre group की ऐक्टिंग की पाठशाला में  ये समझ में आया कि आज की पीढ़ी के साथ भाषाई तौर प...