तो मुन्ना को जमानत मिल गई क्यों नही मिलती बताइये, अरे बताइये भाई, अरे आप नहीं जानते तो जान लें, पूरे घर की ज़िम्मेदारी भी तो मुन्नाभाई पर ही तो है ,साल में थोड़ी सी फ़िल्म मिल जाती है और किसी तरह से आठ दस करोड़ कमाकर घर का गुज़ारा चल जाता है..एक बहन है जो बहुत ही गरीब सांसद है, पिता भी अभिनेता और सांसद दोनों रह चुके ,वोअब इस दुनियां में नहीं हैं,बेटी है जो अमेरिका में है, एक कन्या है मान्यता कहते हैं मुन्नाभाई उससे शादी का इरादा रखते हैं,बताइये मुन्नाभाई कितने अच्छे आदमी हैं एक अच्छे इंसान होने के एवज में या यूं कहें सीबीआई की सहायता से न्यायालय से जमानत आखिर मुन्ना भाई को मिल ही गई..उसके पास से टुइयां सी एके ५७ ही तो मिली थी और कुछ ग्रेनेड मिले ,पर मुन्ना भाई तो ये सारा जखीरा, कहीं दंगा फ़साद ना हो जाय इसलिये बचाव के लिये रखे थे, एक दम निर्दोष हैं बेचारे हां, अगर यही काम किसी और ने किया तो वो देश द्रोही? सही है, सही है बेडू ,अपना हिन्दोस्तान सही जा रहा है .... अब कम से कम बेचारे प्रोड्युसरों का पैसा बर्बाद होने से तो बचा.. सबके साथ कितना न्याय करती है ये न्यायालय... खैर मनाईये कि मुन्ना के चक्कर मे कुछ लोगों को जमानत मिल गई... नही तो सब के सब पडे रहते जेल मे और पीस रहे होते चक्की का आटा...अच्छा है अच्छा है लगे रहो मुन्ना भाई...
न शास्त्रीय टप्पा.. न बेमतलब का गोल-गप्पा.. थोड़ी सामाजिक बयार.. थोड़ी संगीत की बहार.. आईये दोस्तो, है रंगमंच तैयार..
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आज की पीढ़ी के अभिनेताओं को हिन्दी बारहखड़ी को समझना और याद रखना बहुत जरुरी है.|
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6 comments:
bahut khoob sir..vese aap Azamgarh me kahan se hain??
अब मुन्ना भाई लगे रहें या लटके रहें आप विमलजी लगे रहें यूं ही अच्छा अच्छा लिखने में,कटाछ सटीक मारा हैं बिडु!
विमल जी, अच्छी चुटकी ली है। लेकिन क्या कीजिएगा, यरवदा जेल के सामने दोपहर से ही जुटी भीड़ का क्या कीजिएगा। लोग स्वांग को ही हकीकत समझते हैं, क्या कीजिएगा।
ये तो होना ही था. नया क्या है. सब यही सोंच रहे थे.
कुछ तो लिखा भइया. अंषड़ियाँ झाँई पड़ी पंथ निहारि निराहि जैसा हाल हो गया था... कब लिखेंगे और कब हमारी प्रतिक्रिया पर आप खौरियाएँगे. लेकिन इस बार आपने मौक़ा ही नहीं दिया. ऐसा सटाक से मारा है हथौड़ा कील के सिर पर कि बस पूरी कि पूरी धँस गई दीवार के अंदर. सही लिखा है बंधु... काश कोई मुन्ना भाई के आइडी पर इसे फ़ॉरवर्ड कर दे.
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