न शास्त्रीय टप्पा.. न बेमतलब का गोल-गप्पा.. थोड़ी सामाजिक बयार.. थोड़ी संगीत की बहार.. आईये दोस्तो, है रंगमंच तैयार..
Monday, November 3, 2008
आज सुनते हैं एक दादरा सुदीप बनर्जी से .....
आज आपको एक दादरा सुनाते हैं,आवाज़ सुदीप बनर्जी की है, वैसे सुदीप जी को यहां मुम्बई में कई बार सुन चुका हूँ, वैसे भी हमेशा मेरी ख्वाहिश रही है..जब भी कुछ संगीत गायन आदि को लेकर कोई बैठकी हो तो बड़ी सी जगह में खूब गद्दे वद्दे बिछे हों, गाव तकिये लगे हों,और आप सामने से बड़ी तबियत से दाद दे रहे हों और महफ़िल में कम से कम हर शक्स एक दूसरे को जानता हो तो उस महफ़िल की बात ही कुछ और होती है,ऐसे ही किसी दिन अपने मित्र संदीप को सुनने के लिये हम गद्दा बिछा कर इंतज़ार कर रहे थे ..जब तक संदीप नहीं आए तब तक मुझे ही गाना पड़ा लोग मजबूरी में वाह वाह कर रहे थे,और संदीप मियां जब आए तो अपने साथ सुदीप को लेते आये,वैसे संदीप भी अच्छा गायक है..पर उस दिन हमने पहली बार सुदीप को सुना और मस्त हो गये...बाद में पता चला भाई ये तो प्रोफ़ेशनल हैं और शान्ति हीरानन्द जी के चेले हैं और उन्हीं से पता चला कि शान्ति हीरानन्द की गुरु बेग़म अख्तर
रहीं है, तो रात भर हम सुनते रहे सुदीप और संदीप को ......सुदीप बनर्जी की आवाज़ मैने दूरदर्शन पर सुनी थी..॥
सीडी पर भी मैने सुदीप की आवाज़ सुनी....पर सुदीप की आवाज़ का जादू जब आप उन्हें सामने से सुनें तभी रस देगा....कुछ आवाज़े होती है जो माइक पर एकदम भिन्न हो जाती हैं,वैसे मेरी भी आवाज़ माइक पर आते ही बदल जाती है जो मुझे पसन्द नहीं है...पर आपको सुदीप का ये अंदाज़ ज़रूर पसन्द आएगा।
ये दादरा है जो किसी संगीत महफ़िल में सुदीप जी ने गाया था उनका परिचय भी आपको उन्हें सुनते हुए मिल जाएगा...मेरे पास एक रचना और है जिसे सुदीप ने गाया है पर वो मैं अभी नही बाद में सुनवाउंगा अभी तो आप इसे सुनें।
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
आज की पीढ़ी के अभिनेताओं को हिन्दी बारहखड़ी को समझना और याद रखना बहुत जरुरी है.|
पिछले दिनों नई उम्र के बच्चों के साथ Ambrosia theatre group की ऐक्टिंग की पाठशाला में ये समझ में आया कि आज की पीढ़ी के साथ भाषाई तौर प...
-
पिछले दिनों मै मुक्तिबोध की कविताएं पढ़ रहा था और संयोग देखिये वही कविता कुछ अलग अंदाज़ में कुछ मित्रों ने गाया है और आज मेरे पास मौजूद है,अप...
-
रंगरेज़ .....जी हां ....... अंतोन चेखव की कहानी पर आधारित नाटक है ... आज से तीस साल पहले पटना इप्टा के साथ काम करते हुये चेखव की कहा...
-
पिछले दिनों नई उम्र के बच्चों के साथ Ambrosia theatre group की ऐक्टिंग की पाठशाला में ये समझ में आया कि आज की पीढ़ी के साथ भाषाई तौर प...
2 comments:
aanand!!!munmaafiq post miley to kya kahna..abhaar vimal ji
बहुत सुंदर! विमल भाई धन्यवाद
Post a Comment