न शास्त्रीय टप्पा.. न बेमतलब का गोल-गप्पा.. थोड़ी सामाजिक बयार.. थोड़ी संगीत की बहार.. आईये दोस्तो, है रंगमंच तैयार..
Sunday, June 28, 2009
पंचम दा को याद करते हुए......
आज अगर हमारे बीच पंचम दा होते तो सत्तर बरस के होते,कल ही तो उनके जन्म दिन पर हम उन्हें याद कर रहे थे,सचिन दा के बेटे तो थे पर उनकी पहचान पर कभी सचिन दा का साया नहीं पड़ा,यही तो उनकी खासियत थी, "सुबह" नाम का एक सीरियल आया करता था दूरदर्शन पर उसका शीर्षक गीत पंचम दा ने गाया था,नेट पर तलाशते तलाशते मिल गया,इस अलग सी आवाज़ को सुनिये और उन दिनों को याद कीजिये.
पंचम दा ने कुछ फ़िल्मों की थीम म्युज़िक भी बनाई थी, आज पंचम दा को याद करने लिये उनकी बनाई कुछ यादगार थीम म्युज़िक का आनन्द लेते है जैसे इसे सुनिये जो फ़िल्म शोले से है..
और नीचे वाले प्लेयर में अलग अलग फ़िल्मों का थीम म्युज़िक मिक्स है जिसे आप ज्यों ज्यों सुनियेगा त्यों त्यों फ़िल्म का नाम भी याद आ आता जायेगा..................... है ना यादगार?
होसला अफजाई के लिए आप का शुक्रिया... संगीत की समझ पैदा करने के लिए आपका ब्लॉग एक अद्भुत माध्यम है, जब भी अपने आप में आता हूँ या जिस दिन स्वयं हो जाता हूँ उस दिन ठुमरी पर जरूर आता हूँ ... एक बार फ़िर से शुक्रिया ... मोक्ष।
औघट घाट पर आपका स्वागत है साथ ही आभारी भी हूँ. अभी आप से बहुत छोटा हूँ और लिखना, पढ़ना सीख रहा हूँ इसलिए आपकी प्रतिक्रियाओं की हमेशा दरकार रहेगी। मोक्ष।
5 comments:
सुरीली यादों का सफर ....
पंचम को याद करने और हमें याद करने के लिये याद दिलाने के लिये धन्यवाद
सुबह फिल्म का वो टाइतल गीत ऍ जमाने तेरे ए ए ए सामने आ गए मेरे पास आज भी कैसेट में रिकार्ड है। उसकी याद दिलाने का शुक्रिया।
होसला अफजाई के लिए आप का शुक्रिया... संगीत की समझ पैदा करने के लिए आपका ब्लॉग एक अद्भुत माध्यम है, जब भी अपने आप में आता हूँ या जिस दिन स्वयं हो जाता हूँ उस दिन ठुमरी पर जरूर आता हूँ ... एक बार फ़िर से शुक्रिया ... मोक्ष।
औघट घाट पर आपका स्वागत है साथ ही आभारी भी हूँ. अभी आप से बहुत छोटा हूँ और लिखना, पढ़ना सीख रहा हूँ इसलिए आपकी प्रतिक्रियाओं की हमेशा दरकार रहेगी। मोक्ष।
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