पश्चिम गायकों के बहुत से कंसर्ट में मैने श्रोताओं को रोते हुए चीखते हुए उछलते कूदते देखा है पर हमारे यहां का समाज संगीत के मामले में थोड़ा अलग है शान्त शान्त से श्रोता थोड़ा झूमते हुए वाह वाह की मुद्रा में बैठे रहते है,और जहां आवश्यक्ता होती है वहां दाद देना भूलते नहीं,याद है जगजीत सिंह साहब का एक अलबम आया था.....जिसमें उन्होंने कुछ चुटकुले भी सुनाए थे और श्रोताओं की दाद का स्केल भी बहुत ऊपर था श्रोताओं के शोर में एक आवाज़ आयी "आहिस्ता आहिस्ता" और फिर जगजीत साहब ने "सरकती जाय है रूख से नक़ाब आहिस्ता आहिस्ता" सुनाया था, जगजीत चित्रा का वो वाला एलबम ज़बरदस्त था उसी एलबम में हमने पहले पहल सुना था "दुनियाँ जिसे कहते है जादू का खिलौना है मिल जाय तो मिट्टी है खो जाय तो सोना है" आज बडाली बन्धुओं के स्वर में इस मोहक रचना को सुनकर वैसा ही आनन्द मिल रहा है।
कहते हैं पुराने और नये के बीच संघर्ष हमेशा से चलता आया है पुराना नये से कुछ सीख नहीं ले पाता तो धीरे धीरे पुराना हो ही जाता है,एक रचनाकार समय के साथ चलते हुए अपने आपको संवारता रहता है , धुन, वाद्य यंत्र सबमें तब्दीली लाता है तो वो रचनाकार समय के साथ थोड़ा ज़्यादा समय तक टिक के खड़ा हो पाता है ,नुसरत साहब इस बात को जानते थे इसीलिये विदेशियों के साथ उन्होंने बहुत से सफ़ल प्रयोग भी किये थे और शायद वडाली बन्धुओं ने भी इस बात को भांप लिया है और इस एलबम में वो तब्दीली साफ़ दीखती है , ज़रा आप भी देखिये खुली आवाज़ का जादू आपको झूमने पर मजबूर कर देगा।
वडाली बन्धुओं की ये रचना भी ज़रूर सुनें जो पहले से एकदम अलहदा है।
याद पिया की आये ये दु:ख सहा न जाय इस रचना को बहुत से गायकों की आवाज़ में मैने सुना है पर उस्ताद मुबारक अली खान साहब की गायकी को सुनकर आज मैने इसे भी आपके सुनिये लिये चुना है तो इन्हें भी सुनिये और बताईये कैसा लगा?
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11 comments:
ब्लॉग में काली पृष्टभूमि दिखती अच्छी है लेकिन आंखों को स्ट्रेन करती है ।विचार कीजिएगा।
विमल जी नमस्कार,
वेसे आपके ब्लॉग पे आना-जाना तो लगा रहता है मगर हुजुर आप से आज एक दरखास्त है के आज आपने अपने ब्लॉग पे उस्ताद मुबारक अली खान साहिब की आवाज़ में याद पीया की लगाई है आपसे ये मेरी गुजारिश है के ये ठुमरी अगर आपके पास हो तो कृपया मुझे मेल कर दें कारण के ये मुझे निहायत ही पसाद है और मैं आपके ब्लॉग से डाउनलोड नहीं कर पा रहा हूँ...
आपके जवाब के इंतज़ार में ...
आपका
अर्श
वडाली बंधुओं को मैं बचपन से सुनता आया हूं. आपकी प्रस्तुति के लिए आभार.
wadaliji ka geet suna suparb aur koi hoto suna na. wadaliji ka live video ho to dekhana thanks
आप सभी का शुक्रिया @अफ़लातून भाई आपके कहने पर मैने ले आउट तो बदला है पर भाई प्रमोद के साथ बैठकर ठुमरी को नया लुक देने की कोशिश करूंगा जिससे कम से कम लोगों को असुविधा ना हो, अर्श भाई आप तलाश करते रहें मैने भी इसे नेट से डाउनलोड किया है ना हो तो वो लिंक मैं आपको भेज दूंगा, एक बार फिर आप सबका शुक्रिया।
adbhut Vimal Bhai.
Sanjay Joshi
बरसात में तो पिया की याद आएगी ही
मुबारक साहब की आवाज, में इसे सुनना एक अद्भुत अनुभव था। सुनवाने का आभार !
सुनवाने का आभार...
इस नायब प्रस्तुति के लिए बहुत बहुत धन्यवाद.
बड़ा मजा आया सुनकर, आगे भी सुनाते रहीये
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