बहुत दिनों से सिर्फ़ चिंतन के अलावा कुछ हो नहीं रहा, पिछले दिनों अपने समाज में सच का सामना से लेकर बरसात,सूखा, मंहगाई, स्वाइन फ़्लू, और जिन्ना का जिन्न सब एक एक करके दिमाग खराब कर रहे थे, ऐसा भी नहीं कि कुछ ढ्ट टेणन टाईप ही सही कुछ अपनी ज़िन्दगी ही चल नहीं रहा था, भाई सब चल रहा है पर खरामा खरामा, बस एक बार से दिमाग भन्ना रहा है लाईफ़लॉगर की वजह से, जानते इस कमीने साइट की वजह से न जाने कितने संगीत प्रेमी मुझे गरिया के चले जाते हैं अब आप पूछेंगे क्यौं ? तो बता दूँ पिछले दो साल से ब्लॉग नाम की चिड़िया से अपना जुड़ाव हुआ है, कुल मिला के गीत संगीत के अपने मोर्चे पर थोड़ा अमृत बाँटने का काम चल रहा था.
ज़्यादातर रचनाएं जो आप सुन रहे थे वो लाईफ़लॉगर के प्लेयर के बदौलत सुन पा रहे थे,काफ़ी लम्बे समय से इन लाईफ़लॉगर वालों ने अपना तार खिंच कर हमसे अलग कर दिया है अब मुश्किल ये है कि जितनी भी पुरानी पोस्ट थी उसपर आप सिर्फ़ पढ़ सकते हैं, सुन नहीं सकते, मतलब ये कि जितने भी लाईफ़लॉगर के प्लेयर पर जो गीत संगीत चढ़ाया था उसने काम करना बन्द कर दिया है यानि पिछली सारी मेहनत तेल ?
खैर कहीं कहीं अलग अलग प्लेयर पर भी थोड़ा बहुत चढ़ाया था वो सुरक्षित है, पर अपने सागर भाई और यूनुस भाई,इरफ़ान भाई,मनीष जी और उन सभी साथियों से जो तक्नालॉजी को बता सकते हैं तो उनसे हाथ जोड़ अपनी यही इल्तिज़ा है कि वो कम कम से कम ये तो बताएं कि कौन सा प्लेयर उचित और आसान है कि उससे कम से कम ठुमरी पर लोग आकर मायूस ना हों, भाई लोग ज़रा इस बारे में गौर करियेगा।
पिछले दिनों अपने भाई बन्धू जो हमारे देश से बहुत दूर त्रिनीडाड, सुरीनाम आदि देशों में सैकड़ों सालों से रहकर कुछ अपना सा सुर आजतक बनाए हुए है उनकों आज सुनवाने का जी कर रहा है अपना तो अच्छा बुरा हम सुनते ही रहते हैं पर इसे भी सुना जाय त्रिनिडाड की कोकिला......रसिका डिन्डियाल की आवाज़ में इस रचना को सुनिये और बताईये कि आज भी इस संसार को उन्होंने कैसे पानी और खाद से सींचा है कि आज भी उनका गाया हमें मस्त करता है ............भाई ज़रा नया ऑडियो प्लेयर कैसे बनाएं जाय जो आसान भी हो अभी तो हमारी यही सबसे बड़ी समस्या है कोई सुलझायेगा?
चलिये अब कुछ बैठक गान का और चटनी का आनन्द लीजिये ।
और भी है अपने पिटारे में ज़रा इन्हें भी तवज्जो दें। रामदेव चैतू की आवाज़ में ज़रा इस लोकप्रिय धुन को तो सुनिये....
और राकेश यनकरन की ये मिक्स चटनी का स्वाद तो ले ही लीजिये....
चलिये अब कुछ बैठक गान का और चटनी का आनन्द लीजिये ।
और भी है अपने पिटारे में ज़रा इन्हें भी तवज्जो दें। रामदेव चैतू की आवाज़ में ज़रा इस लोकप्रिय धुन को तो सुनिये....
और राकेश यनकरन की ये मिक्स चटनी का स्वाद तो ले ही लीजिये....
7 comments:
मजा आ गया |
थोडा सुद्ध लोक गीत सुनाईये भाई |
खुश कर दिया आपनें. ज़ारी रहें
वैसे तो "चटनी" सुन कर मुह मे पानी आता है,
ये वाला चटनी कर्णप्रिय है!
:-)
उम्दा । आनंददायक । धन्यवाद ।
विमल जी इस पोस्ट पर अपने विचार तो बाद मे लिखूंगा फिलहाल "शब्दों का सफर" पर आपके योगदान को रेखांकित करते हुए लेख मे आपका नाम पढकर यहाँ पहुंचा हूँ । आपको बधाई एवं शुभकामनायें -शरद कोकास ,दुर्ग, छ.ग..
mogambo khush hua. bol bachcha kya chahiye? jo mangana hai mang le!
Bahut badiya.
aapko shubhkamnayen
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