क्या कवि सम्मेलनों का दौर ख़त्म होता जा रहा है, एक समय था जब छोटे छोटे शहरों में कवि सम्मेलनों और मुशायरों की वजह से शहर में चहल पहल खूब हुआ करता था, वाह वाह और मुक़र्रर का शोर आज भी कानों में ज्यों का त्यों अपनी जगह बनाए हुए है...... पर आज उस समा को हम सिर्फ महसूस ही कर सकते हैं |
लगभग दसियों साल से सब कुछ समाप्त होता दिखाई दे रहा है तो आज उन्हीं पुराने दिनों कों याद करते हुए कवि डा: कुमार विश्वास जी की रचना उन्हीं की आवाज़ में सुनिए और आनंद लीजिये, इस रचना को मित्र ज्योतिन ने उपलब्ध कराया है उनका शुक्रिया और भी इस तरह की रचनाएँ अगर मुझे मिलती है तो ठुमरी के माध्यम से आप तक ज़रूर पहुंचाया जाएगा इसकी गारंटी मैं लेता हूँ ...........नए साल में फिर कुछ इसी तरह मुलाक़ात होगी |
समीर भाई आप सुन नहीं पा रहे इसलिये नीचे वाले प्लेयर पर चटका लगा कर अब सुन सकते हैं ....वैसे मैं ऊपर वाले प्लेयर को सुन पा रहा हूँ....
न शास्त्रीय टप्पा.. न बेमतलब का गोल-गप्पा.. थोड़ी सामाजिक बयार.. थोड़ी संगीत की बहार.. आईये दोस्तो, है रंगमंच तैयार..
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आज की पीढ़ी के अभिनेताओं को हिन्दी बारहखड़ी को समझना और याद रखना बहुत जरुरी है.|
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24 comments:
वाह विमलजी बहुत दिनों बाद आये लेकिन प्रेम की बारिश लेकर । सर्दी की रात में चादर ओढ़कर कवि सम्मेलन और मुशायरे का मजा तो गुनगुनी धूप में मूंगफली खाने जैसा है । रचनाकार का नाम शायद कुमार बिस्वास है , तस्दीक कर लीजिये ।
अजय जी आपका बहुत बहुत शुक्रिया ....माफ़ी चाहता हूँ कि मै भी भ्रम में हूँ ....आपके अनुसार रचनाकार का नाम कुमार विश्वास है...तो और लोगों से निवेदन है अगर इन महोदय को आपने सुन रखा हो तो इन नाम ज़रूर बताएं....अगर नाम ग़लत हो तो मैं माफ़ी चाहता हूँ...
रिकार्डिंग कहाँ है..हमें तो कुछ दिख नहीं रहा जिसे सुनें??
ये युवा दिल धड़कन डॉ कुमार विश्वास जी हैं. गाजियाबाद के हैं और मेरे मित्र भी हैं.
समीर जी और अजय जी आप दोनो का शुक्रिया जो आपने कुमार विश्वास जी के बारे जानकारी दी...आपके कहे अनुसार मैने नाम में सुधार कर लिया है, असुविधा के लिये खेद है.....
विमल मेरे भाई, बहुत आभार!!
काश, कभी कोई मेरी आवाज भी ऐसे ही सुनाये..यही तमन्ना लिए फिर रहा हूँ दोस्तों की गलियों में मैं. :)
ये आपके लिए, सुनिये:
http://www.youtube.com/watch?v=TuF_I0CUShA
अरे विमल भाई , मैं यहां आपको ये बताता चलूं कि कुमार जी का ये टुकडा तो इन दिनों बिहार, बंगाल, उत्तर प्रदेश के नवयुवकों के मोबाईल का एक एक्स फ़ैक्टर बना हुआ है , अपने इस ग्राम प्रवास में मैं खुद इसे कम से कम पचास बार सुन चुका हूं और न जाने कितनी बार सुनने की तमन्ना है
अरे उडन जी आप किसी से कम हैं क्या ...
हमें तो अभी भी प्लेयर नहीं दिख रहा | क्या दिक्कत है न जाने |
हिमांशु जी समझ में नहीं आ रहा प्लेयर क्यौं नहीं दिख रहा....दो दो प्लेयर हैं...शायद आपके कम्प्यूटर में फ़्लैश प्लेयर इंस्टाल नहीं होने की वजह से ऐसा हो एक बार देख लीजिये कि आपका फ़्लैश प्लेयर काम कर रहा है या नहीं.....मैं तो दोनों प्लेयर आस पास के कम्प्यूटर में देख पा रहा हूँ .....
विमल भाई चिंता की कोई बात नहीं थोडी देर से ही सही मगर दिखता भी है और एक दम टनाटन सुना भी जाता है ..हो सकता है कुछ कठिनाई आ रही हो या देर लग रही हो , मगर मुझे तो दिखा भी और सुना भी
विमल भाई अब तो मुझे भी दिखाई नहीं दे रहा है .....क्या माजरा है पता नहीं
नमस्कार, मेरी तरफ से नए साल की बधाई आप को और आपके परिवार को.
waah sir ji bahut dino baad aaye par... durust aaye...
bahut khub bhai. achchha hai aur behtar hai
Pahli bar blog par ayi...badhiya hai !!
tumhari thumari ka jawab nahi. wyse tum khud bhi lajawab ho. mai to kuch gata nahi. islie sirf sunta hu. wah to dasta tha jisme koras ga leta tha.ab to sirf tumhari thumari ke sath gunguta hu. mujhe nahi lagta ki tum asani se pahchan jaoge is anam allahabadi ko. nam nahi bataunga. keval number bataunga kyoki yeh number ka jamana hai. 09717160897
Speekar Nahi Hain To Sunne Ki Tamanna Kaise Poori Ho.
Vimal ji abhi sun nahin paye fir koshish karenge ......!!
विमल जी, कुमार विश्वास जी को सुनाने के लिए आभार. ...आवाज बंद हो गयी मगर दिल में हंगामा अभी भी मचा हुआ है!
अरे वाह! क्या बात है.
bahoot achha laga
वह विमल भाई ,ग़ज़ब ही ब्लॉग है अपना जिंदगी के सुर में शहद घोलता हुआ /ऐसे मज़ा नहीं आरहा /आपसे बात करने को दिल चाहता है /
मेरा सेल न.९४२५८९८१३६
आपका ही
डॉ.भूपेन्द्र रीवा एम् पी
'कोई दीवाना कहता है'..जितनी बार भी सुनो...हर बार उतना ही खूबसूरत ..पेश करने का इनका अंदाज़ भी बहुत खूब है.
divshare का प्लयेर तो अच्छा चल रहा है ,मालूम नहीं मुझ से पहले आये पाठक सुन क्यूँ नहीं पाए?
आभार
आप सब के स्नेह के लिए आभार ...
Dr Kumar Vishvas
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