photo by vimal
पहली बार होली के रंग से दूर हूँ , पर होली में सबके साथ बैठ कर कुछ नया सुनाने और गुनने का आनंद ही कुछ ही है ,अब जब होली आती है तो हम अपने अतीत में खो जाते हैं .....उसी में डूबते उतराते हैं, आज भी कुछ मन उसी तरह का हुआ जा रहा है , इसी मौके पर छाया गांगुली की आवाज़ में इस गीत को सुने और आनन्द लें |
न शास्त्रीय टप्पा.. न बेमतलब का गोल-गप्पा.. थोड़ी सामाजिक बयार.. थोड़ी संगीत की बहार.. आईये दोस्तो, है रंगमंच तैयार..
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10 comments:
होली की शुभकामनाएँ ।
बहुत मीठा गीत सुनवाया। आभार।
वाह दादा..मज़ा आ गया. समय मिले तो www.malvijajam.blogspot.com पर पिताश्री नरहरि पटेल के स्वर में दो मालवी होली गीत सुनियेगा.आपको होली की राम राम.
बहुत सुन्दर गीत सुनवाने का आभार!
ये रंग भरा त्यौहार, चलो हम होली खेलें
प्रीत की बहे बयार, चलो हम होली खेलें.
पाले जितने द्वेष, चलो उनको बिसरा दें,
खुशी की हो बौछार,चलो हम होली खेलें.
आप एवं आपके परिवार को होली मुबारक.
-समीर लाल ’समीर’
इतनी सुंदर रचना सुनवाने के लिए आभार.
मस्त मस्त !! विमल भाई मज़ा आ गया ... ये गीत जितनी बार सुनो कम है ! हर बार छा जाता है दिल-ओ-दिमाग पर .....
होली मुबारक़ - आप को और आप के परिवार को !!!
फागुन के मस्त महीने में ,तबीयत मस्त हो गई ।
होली की सतरंगी शुभकामनायें ।
har aisehi avasaro par apane logo ki yaad bahut aati hai vishesg kar ghar parivar ki toaise me to sangeet se badh kar achha saathi ho hi nahi sakta.
poonam
सुन्दर लेखन।मनोरंजन चेनल में आप नित नये सोपान पर आरूढ हों इसी शुभकामना के साथ,शुबेच्छु-डा.आलोक दयाराम
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