Sunday, May 16, 2010

जब दिल ही टूट गया

तब की बात है जब रेडियो सिलोन पर सुबह-सुबह पुरानी फ़िल्मों के गीतों का कार्यक्रम आता था और कार्यक्रम के अन्त श्री के एल सहगल की आवाज़ के किसी गाने पर खत्म होता था..इस समय उस कार्यक्रम का नाम तो याद नहीं आ रहा पर जहां तक सहगल साहब की बात करें तो उनकी गायकी और उनके गाने का अपना अलग अंदाज़ था वो दौर ही कुछ ऐसा था कि उस समय किसी भी गायक पर सहगल साहब का असर ज़रूर रहता था ,कुछ दिनों से एक गायक की आवाज़ सुन रहा हूँ..जो रहने वाले तो अफ़गानिस्तान के है और ग़ायकी में अफ़गानिस्तान में एक बड़ा नाम सादिक़ फ़ितरत NASHENAS को हिन्दी में कैसे सन्भोधित करूँ समझ नहीं आ रहा नशेनास या नशेनाज़ या कुछ और....आज सादिक़ साहब सुनते है...... वैसे सहगल साहब की गायक़ी का लुत्फ़ किसी और पोस्ट में लिया जायगा अभी तो ज़रा सादिक़ साहब की सुध ली जाय।

सादिक फ़ितरत (Nashenas)आज हम सादिक साहब या NASHENAS की आवाज़ में |

पुरानी फ़िल्म शाहजहां जिसमें सहगल साहब ने आवाज़ दी थी गाना था "जब दिल ही टूट गया ....हम जी के क्या करेंगे"...आज वही गज़ल उस्ताद सादिक़ फ़ितरत



तुम जागो मोहन प्यारे.......


गुलों में रंग भरे ......




ऐ मेरी जोहरा जबीं

No comments:

आज की पीढ़ी के अभिनेताओं को हिन्दी बारहखड़ी को समझना और याद रखना बहुत जरुरी है.|

  पिछले दिनों  नई  उम्र के बच्चों के साथ  Ambrosia theatre group की ऐक्टिंग की पाठशाला में  ये समझ में आया कि आज की पीढ़ी के साथ भाषाई तौर प...