नय्यरा नूर की आवाज़, एक ऐसी आवाज़, जिसमें कमाल की गहराई है, पता नही कब से सुन रहा हूं इन्हें , कहते है इस फ़न से से जुडना भी एक संयोग ही रहा नय्यराजी के लिये., यहां पर तफ़्सील से जान सकते है, लेकिन अभी मै जो, ग़ज़ल कहिये छेड़ने जा रहा हूँ, उसे मैंने जब से सुना है, तब से मै कई बार सुन चुका हूँ, और ख़ास बात कहीँ भी झेल नही है, मीठी सी आवाज़, और सही कह रहा हूँ बड़ी ही मधुर आवाज़ है , विश्वास ना हो तो ख़ुद ही सुने और बताएँ और जल्दी बताइये तो मै अपनी मुहिम में आगे बढूं, नही तो कुछ और ज़मीन तलाशी जाय, ये पोस्ट प्रयोग के बतौर माना जाय, सिर्फ़ दो गज़लें है, आज सुन लिया जाय, अब बहुत गायकी के बारे में इधर उधर की लिखे बगैर आगाज़ करते हैं ... तो पेशे खिदमत है नय्यरा नूर की आवाज़ में चन्द गज़लें, आपको अगर सन्दर्भ पता हो तो शिरकत कीजिये अच्छा लगेगा... बोल हैं कभी हम खूबसूरत थे...
दूसरी गज़ल कुछ यूं है .... ऐ इश्क हमें बरबाद ना कर ...
10 comments:
बहुत खूब,
ये पहली वाली गजल सुनी हुयी नहीं थी, सुनकर बहुत अच्छा लगा ।
साधुवाद स्वीकार करें,
आह्ह!! अब क्या कहें, आप तो दिल जीत ले गये.
वैसे बतायें, आप तो आज भी....मगर कभी हम भी खूबसूरत थे..यह मुआ धूप का स्त्यानाश हो...इसे ओजोन लेयर की नजर लगे..सब सत्यानाश कर दिया.
आप अभ भी खूबसूरत हैं सर.....आपकी पोस्ट तो और भी....खूब है....
दोनों ही गज़लें खूबसूरत है, बहुत बढ़िया।
आपने ने तो पुरा विश्लेषण ही कर डाला...बहुत दिन बाद ये सुनने को मिला ...धन्यवाद
नीरज भाई, चलिये इसी बहाने आप हमारे यहां आए और आपको अच्छा लगा, मुझे भी आपका आना अच्छा लगा,और समीर भाई और बोधिजी आपको क्या पता मै अन्दर से कैसा हूं, ऊपर की खूबसूरती को ओजोन लेयर नाश कर सकता है, पर अन्दर की खूबसूरती का उपाय? उसे तो बचाना होगा ना !! नाहरजी और राज भाई मेरी पसन्द से आपकी पसन्द मिलती जुलती है जानकर अच्छा लगा !! अभी तो ये अंगड़ाई है. .. आगे भी कुछ चीज़ें है आशा करता हूं आप सभी को पसन्द आएंगी !!! आप सभी का शुक्रिया !!!!
mazaa aa gayaa. suron ke samandar men doob gaye......dhanyavaad
बहुत सुंदर . सुरों के समंदर में डूबे-उताराये. आभार
नय्यारा नूर की आवाज़ की बात ही क्या है। मेरा परिचय इनकी आवाज़ से पहली बार तब हुआ था जब पाकिस्तान की एक मित्र ने मुझे इनकी गाई ..
हम कि ठहरे अजनबी इतनी मदारातों के बाद
फिर बनेंगे आशनां कितनी मुलाकातों के बाद
सुनवाई थी.. जो एक बार में ही दिल में उतर गई थी
यहाँ देखें...
http://ek-shaam-mere-naam.blogspot.com/2007/03/blog-post_23.html
दूसरी वाली ग़जल तो सुनी थी पर कभी हम खूबसूरत थे पहले नहीं सुनी ...सुनकर आनंद आ गया। सुनवाने के लिए आभार..
विमल जी बहुत अच्छा लगा तलाश बेंड से उपजे ये गीत सुनकर खासकर जब पता हो की अपने शहर से है .एक बात तो तये है की सुरों को कोई सरहद नहीं बाँध सकती .अच्छा काम कर रहे है ...पर शायद आज अच्छे काम को वाह वाही ज़रा मुश्किल से मिलती है और अपनी एक पहचान भी बड़ी मुश्किल से बनती है ....पर सच कहा है ..इरादे बुलंद हों तो मंज़िल ज़रूर मिलती है ...इनकी मेहनत रंग लाये यही इक्छा है .शुभकामनाये !!!!!
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