उस्ताद शुजात हुसैन खान साहब और सितार का सम्बन्ध कुछ वैसा ही है जैसे शरीर और आत्मा का सम्बन्ध है,कुछ समय पहले अजित वडनेकरजी ने सितार पर कुछ अच्छा सुनने की इच्छा ज़ाहिर की थी,तो आज उस्ताद शुजात हुसैन खान साहब के अलबम The Rain से आपके लिये कुछ खास लेकर आया हूँ,ईटर्नीटी नाम की रचना में जिस तरह का प्रयोग शुजात साहब ने किया है उसके लिये एक ही शब्द ज़ेहन में आता है वो है "अद्भुत" तो आप भी मज़ा लें।
न शास्त्रीय टप्पा.. न बेमतलब का गोल-गप्पा.. थोड़ी सामाजिक बयार.. थोड़ी संगीत की बहार.. आईये दोस्तो, है रंगमंच तैयार..
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5 comments:
चार-चार विस्मयबोध सितार के लिए है कि उस्ताद साहब के लिए? हद है!
Delete Comment From: ठुमरी
vimal verma said...
कमाल है प्रमोदजी,आप भी इ नहीं बता रहे कि संगीत जो हम सुनवा रहे हैं वो कैसा लगा?आप भी विस्मयबोधक चिन्ह के चक्कर में पड़ गये, मेरे लिये तो सारा ब्रम्हांड ही विस्मय से कम नहीं,तो विस्मय उस्मय उन पर छोड़िये जो दुनियाँ को विस्मित करना चाहते हैं,संगीत पर कुछ बोलते तो मुझ अज्ञानी के भेजे में कुछ समाता भी और हाँ मुझे भी इस बात का विस्मय हो गया है कि आप भी तथ्य को छोड़कर विस्मयबोधक के लफ़ड़े में फंसे हैं। विस्मयबोधक में एक लगाइये कि चार विस्मय तो विस्मय है ।
!!!!!!!!!!!!!!!!
Vimal bhai aanand aa gaya bahut sundar laga sangeet ka ye adbhut tukda. Gar aapke paas iska mp3 ho to meri mail mein bhejiyega agar vishesh dikkat na ho to !
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