
उस्ताद अमानत अली खाँ-उस्ताद फ़तेह अली खाँ
प्यार नहीं है जिसका सुर से वो मूरख इंसान नही...........
प्यार नहीं है सुर से जिसको वो मूरख इंसान नहीं है,
जग मे गर संगीत न होता, कोई किसी का मीत न होता,
ये एहसान है, सात सुरों का, ये दुनियाँ वीरान नहीं,
सुर इंसान बना देता है, सुर रहमान मिला देता है,
सुर की आग में जलने वाले परवाने नादान नहीं।