सोचा था कुछ गीत गज़ल ठुमरी सुनवाता, मुझे भी मज़ा आता और आप भी मज़े लेते.....अपने पिछले पोस्ट को देखता हूँ तो मेरे दिमाग में एक बात ज़रूर आती है कि आखिर मैं कर क्या रहा था आज तक...तो पता चला कि पुराने गीत गज़ल ठुमरी,नज़्म और फ़्यूज़न टाईप कुछ रचनाएं सुनवाकर मैं अपने काम पर लग गया....भाई घर चलाना है कि नहीं?इधर काम का बोझ सर पर इतना आ गया है कि ना दिन में चैन है ना रात में आराम...........अपने दफ़्तर में इन गतिविधियों पर रोक लगी हुई है...तो कुल मिलाकर जो मानसिक आहार ब्लॉग से प्राप्त होता था वो करीब करीब खत्म ही हो चला है.....वैसे भी लिखने के लिये मुझे अपने दिमाग की बत्ती जलाने में भी समय ज़्यादा लगता है....इसीलिये थोड़ा लिखता और थोड़ी इधर उधर की गज़लें,कुछ रचानाएं..सुनवाईं और निकल लिये, अपना काम खत्म....पर ब्लॉग लिखने वाले मित्रों को धन्यवाद देना चाहता हूं कि उनकी वजह से मैं अपने अन्दर बहुत परिवर्तन महसूस रहा हूँ, जिनकी वजह से ठुमरी मैने शुरू किया और पता नहीं क्या क्या लिखने में व्यस्त रहा, लिखते लिखते मुझे अपनी पसन्द नापसन्द के बारे में पता चला ये ही मेरे लिये बड़ी बात है, अभी भी बहुत कुछ जो मन में है यहाँ उतार नहीं पा रहा, फिर भी आप सबको शुक्रिया कि मेरे लिखे पर लोग मुझे उत्साहित करते और उनकी टिप्पणियों को पाकर मेरे अन्दर एक अजीब सा जोश आ जाता...और मैं अपनी ही उमंग में रहता ..बहुत कुछ पाया है आपलोगों से......आप आते रहें इसके के लिये जब भी मुझे मौका मिलेगा मैं आपके बीच ज़रूर आऊंगा..... पर अभी कुछ दिन मैं आपलोगों से दूर रहने वाला हूँ....
आज सिर्फ़ मैं इसलिये अपने मन की बात लिखने पर मजबूर हुआ कि बहुत दिनों से मुझे अपने ही ब्लॉग पर जाने की फुर्सत नहीं मिल पा रही थी और अब फ़ुर्सत मिलेगी इसकी उम्मीद कम ही है....
मेरे पास भी अभी कुछ भी नया नहीं है जो मैं आप तक पहुँचा सकूँ........वैसे जाते जाते एक पुरानी रचना जगजीत सिं की आवाज़ में सुनते जाइये जिसे कभी हेमन्त दा ने गाया था पर परिवर्तन के लिये आज जगजीत साहब की आवाज़ में इसे सुनिये ..... . .. ..है तो बहुत पुरानी पर एक बात तो है पुराने में दम है साथी!!
ये नयन डरे डरे.......ये जगजीत सिंह के अलबम close to my heart से है...
न शास्त्रीय टप्पा.. न बेमतलब का गोल-गप्पा.. थोड़ी सामाजिक बयार.. थोड़ी संगीत की बहार.. आईये दोस्तो, है रंगमंच तैयार..
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7 comments:
ऐसे मौके निकालते रहना पड़ेगा । जनता की माँग है ।
नया कतई आवश्यक नहीं..मगर आवाजाही जारी रखें. इन्तजार रहता है.
जगजीत जी की आवाज़ में भी सुनना इस गीत को अच्छा लगा
ज़िन्दगी जब तक रहेगी फ़ुरसत न होगी काम से ... कोई बात नहीं विमल भाई, जब अवसर मिले कुछ परसाद बांट जाया करें. वैसे तो आप जहां रहते-जाते होंगे वहां का महौल नैसर्गिक रूप से सुरीला बना रहता होगा!
ठुमरी ज़िन्दाबाद! विमल भाई ज़िन्दाबाद!
Chaliye koyi baat nahin waqt bewaqt hi sahi jab bhi kaam izazat de kuch sunwate rahein.
जगजीत जी आवाज में सुनवाने का शुक्रिया .....कभी वक़्त मिले तो तो उनकी आवाज में चुके चुपके रात दिन आंसू बहाना ....सुनवा दे....
I was told by one of my muzeek friend that you must l;isten these songs. Somehow,I could not have that chance.
How I was missing these newly rendered songs, I admit. Can U get us others also?
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