Monday, December 22, 2008

अपने प्रियतम शहर इलाहाबाद की एक खूबसूरत सुबह.......भाग -2

आपकी बधाईयाँ मिंकी तक पहुंच चुकी हैं,कुछ तस्वीरें मिंकी के पास और थीं कुछ तस्वीरें जो मेरे मन को भा गई तो आप भी देखिये क्या नज़ारा है, पिछले पोस्ट में आपके उत्साह को देखते हुए मैं आपको एक बार फिर से संगम से रूबरू करवा रहा हूँ,वैसे सीगल ने तो संगम पर अपना कब्ज़ा जमा रखा है वो तो इन तस्वीरों को देखकर पता ही चल रहा है....पर सुबहे प्रयाग का जवाब नहीं!ये तो आप ज़रुर कह ही उठेंगे....










8 comments:

Unknown said...

bahut he sundar photos hain...inhe share karne ke liye bahut bahut sukriyaa....

स्वप्नदर्शी said...

bahut khoob!!

सिद्धार्थ शंकर त्रिपाठी said...

अच्छा, तो संगम पर विदेशी मेहमानों का कलरव गुंजायमान हो चुका है? मुझे तो ध्यान ही नहीं था।

इलाहाबाद आपका प्रियतम शहर है यह जानकर खुशी हुई। हम भी यहाँ रहकर अघा रहे हैं। कभी आना हो तो जरूर बताएं।

आपकी ठुमरी का नियमित श्रोता हूँ। सेक्सोफोन वाली ठुमरी तो मेरी आठ वर्षीय बेटी रोज ही सुनती है। इसपर कोई नयी रचना हो तो जरूर सुनवाएं।

रंजू भाटिया said...

बहुत सुंदर चित्र हैं .

jyotin kumar said...

इतने साफ़ सुथेरे फोटो में अपना तीरथराज प्रयाग कहीं खो गया लगता है.

Manish Kumar said...

naynabhiram tasweerein

Unknown said...

विमल मैं नही जानता था की आप में सचमुच इतनी प्रतिखा है मुझे तो आप के ब्लॉग से गुजरने के बाद एहसास हुआ की न केवल आप में प्रतिभा है बल्कि आप का नेवर से डाई
वाला तेवर भी तीस वर्षों पुराना ही लगता है. इश्वर करे की सफलता आप का कदम चूमे लेकिन याद रहे की सफलता या असफलता कभी भी किसी व्यक्ति के चमता का द्योतक नही होता है.:संदीप dubey

Chaaryaar said...

maja aaya

आज की पीढ़ी के अभिनेताओं को हिन्दी बारहखड़ी को समझना और याद रखना बहुत जरुरी है.|

  पिछले दिनों  नई  उम्र के बच्चों के साथ  Ambrosia theatre group की ऐक्टिंग की पाठशाला में  ये समझ में आया कि आज की पीढ़ी के साथ भाषाई तौर प...