Sunday, February 22, 2009

गुलाम अली साहब की आवाज़ में कुछ यादगार रचनाएं

पिछले दिनों मैं अपने बड़े भाई विनय के पास मऊ (उत्तर प्रदेश ) गया था,मऊ से भी बीस किलोमीटर दूर घोसी चीनी मिल है (जहां से कांग्रेस के कल्पनाथ राय सांसद हुआ करते थे) और दूर से ही चीनी मिल की महक ने अपनी दस्तक दे दी थी कि घोसी आने वाला है,वहां की खुशबू जब तक आप वहां रहेंगे आपकी नाक में अपनी जगह बना लेगी......वहां उस छोटे से शहर को कुहरे में लिपटे देखा तो आनन्द ही आ गया,थोड़ी ठंड भी थी .... वहां विनय भाई के खेतों में सरसों के पीले फूल लहलहा रहे थे आपको बुला रहे हों ....... भाई के खेतों के चावल ,सब्ज़ी और हरी मिर्च खाकर तो मैने तो मस्त ही होगया ,अपने खेतों में विनय ने राजमा भी लगा रखा था इनके पौधों को मैने पहली बार देखा था ....बस इतना किया कि मैंने राजमा के पौधों की तस्वीर ले ली ......खेतों में जो हरियाली थी उसे मैं अपने अन्दर महसूस कर रहा था, विनय भाई जैसे इन सब चीज़ों से बोर और हमारी मुम्बई की ज़िन्दगी से ज़्यादा प्रभावित लग रहे थे , उन्हें लग रहा था कि गुरू ज़्यादा हो गई तुम कुछ ज़्यादा ही तारीफ़ कर रहे हो.....खैर मैने कहा कि "पसन्द अपनी अपनी ख्याल अपना अपना" बहुत सी बातें हमारे बीच हुई उसका ज़िक्र बाद में, खास बात ये कि विनय भाई ने अपनी फ़र्माइश कर ही दी वो ठुमरी पर अपनी पसन्द की कुछ गज़लें सुनना चाहते थे वो भी मेंहदी हसन,गुलाम अली,नैय्यरा नूर,नुसरत साहब .... लिस्ट कुछ लम्बी ही थी... खैर विनय भाई की पसन्द की कुछ रचनाएं आज मैं पेश कर रहा हूँ ,तो उसकी पहली कड़ी में आज उस्ताद ग़ुलाम अली साहब की रचनाएं हैं ....जो विनय भाई के साथ साथ मुझे भी बेहद पसन्द हैं और आपको भी ज़रूर पसन्द आएंगी वैसे आपने इन रचनाओं को पहले भी सुन ही रखा होगा पर दुबारा सुनने पर भी आपको पसन्द आएगा....






और अब सुने ग़ुलाम अली साहब की गाई कुछ लोकप्रिय रचनाएं।

6 comments:

Udan Tashtari said...

सुनते चले जा रहे हैं लगातार विमल भाई..

"अर्श" said...

ghulaam ali sahab to mere ustad hai... bahot bahot shukriya ji..


arsh

लावण्यम्` ~ अन्तर्मन्` said...

बहुत सुँदर और चित्र भी बढिया !

शोभा said...

वाह बहुत प्यारी गज़ल सुनवाई। आशा है और भी अच्छी गज़लें सुनवाएँगे। आभार।

Ashok Pande said...

वाह विमल भाई. एक साथ यह सब! मस्त किया अपने.

ravi alias atul said...

vinay ki baat kuch our. woh kuch khas hai. thodi trditinal pasand hai , par har waqt suni ja sakti hai our kabhi man nahi bharta. vinay ka sansar uske kitchen garden ( rajma our sarson ) ki tarah hamesha hara bhara rahe........ atul ( gaur) jaipur

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