लोग ना जाने किन किन बहसों में लगे हैं, कभी इन बहसों का अन्त होने वाला भी नहीं है ,तो घड़ी भर जहां मन को सुकून मिले ऐसी विषम स्थितियों में कुछ अच्छा गीत संगीत सुनने से मन के अन्दर जो उर्जा मानव मन को मिलती है उसका कोई जोड़ नहीं है। रिमझिम बरसात की फुहार से अभी अभी रूबरू होकर घर में घुसा हूँ, दिन भर ऑफ़िस की गहमा गहमी,कहीं गुजरात में लोग मर रहे है,तो कहीं कोई आत्महत्या कर रहा है,कहीं लोग समलैंगिस्तान बनाने पर आमादा हैं तो बहुत से लोग इसके बरखिलाफ़ हैं।
फोटो गुगुल के सौजन्य से
कहीं मन की बेचैनी है जो खत्म होने का नाम नहीं लेती,बहुत दिनों से कुछ ठुमरी पर चढ़ाया ही नहीं था और ऐसा भी नहीं कि लोग ठुमरी पर कुछ ताज़ा सुनने के लिये बेकरार हों, इधर लाईफ़लॉगर की वजह से पुरानी पोस्ट जो लाईफ़ लॉगर के प्लेयर पर चढ़ाया था उसकी बत्ती लाईफ़लॉगर वालों ने गुल कर दी है ये बात अभी मुझे बहुत परेशान कर रहीं है,काफ़ी सारी मेहनत अब लाईफ़लॉगर की वजह से कुर्बान हो गई मुझे इसका मलाल तो हमेशा रहेगा।
चलिये इस रिमझिम भरे मौसम में कुछ हो जाय, पता है यहां मुम्बई में मौसम के बदलते देर नहीं लगती, कहते हैं मौसमी फल खाना शरीर के लिये लाभप्रद होता है,वैसे "मौसमी रचना भी अगर दिल से सुनी जाय तो मन में सकारात्मक विचार पैदा होता है" ये बात किसी ने कहा है या नहीं पर आज मैं कह दे रहा हूँ, तो अब बहुत ज़्यादा भांजने के बजाय मुद्दे पर आते हैं और पं. छ्न्नूलाल मिश्र जी की मखमली आवाज़ का लुत्फ़ लेते हुए एक कजरी सुनते है। यहां भी क्लिक करके पंडित छन्नूलाल जी की गायकी का लुत्फ़ लिया जा सकता है
न शास्त्रीय टप्पा.. न बेमतलब का गोल-गप्पा.. थोड़ी सामाजिक बयार.. थोड़ी संगीत की बहार.. आईये दोस्तो, है रंगमंच तैयार..
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14 comments:
कजरी पसंद आई, सुनवाने का शुक्रिया
लूट ले गये भई..जय हो आपकी!!
Thanks for this wonderful composition
इस रस मय कजरी के लिये धन्यवाद्
विमल जी, समझ नही आ रहा है कैसे धन्यवाद दूँ आप को, पंडित जी की " मोरे बलमा अजहूँ न आए " के बाद तो मै उनका मुरीद ही हो गया हूँ और आपके चयन का भी कायल। बहुत अद्भुत कज़री सुनवाई है आपने। पंडित जी का गाया कोई ख़याल हो तो जरूर सुनवाए । मोक्ष ।
अंग्रेजी तो मुझे अती नहीं पर एक शब्द सुना है सही या गलत पता नहीं.. Speechless.अपनी भी वही हालत है।
इतनी सुन्दर कजरी सुनने के बाद कुछ कहने के लिये बचेगा भी?
आभार इस सुन्दर कजरी और पं छन्नूलालजी को सुनवाने के लिये।
महफिल पर भी आज राग मल्हार बज रहा है, सावन का मौसम है कजरी के साथ मल्हार राग सुनना भी सुखद रहेगा।
:)
वाह क्या कहने छन्नूलाल मिश्र के !
पं.छन्नूलाल मिश्र को पहली बार सुना मजा आ गया | मिश्र जी की ठुमरी से रु-बरु करवाने के लिए धन्यवाद |
पं. छ्न्नूलाल जी मेरे संगीत के गुरु हैं. उनकी आवाज़ सुन कर मन भावुक हो गया.
वैसे कितने अचरज की बात है कि इतने बडे गायक को आज तक पद्म्श्री जैसा कोई पुरस्कार नही मिला जबकि उनके शिष्य तक पद्मभूषण पा चुके हैं.
मीनू खरे,
http://meenukhare.blogspot.com/
Meenu मीनू जी मैंने जब ये सूना की आज तक इतने महान कलाकार को आज तक पद्मश्री तक नहीं मिली है | अब तो अवार्ड के लिए भी कलाकारों को मुहीम चलानी पड़ती है, कई नेताओं की जी हजुरी करनी होती है |
शायद पंडित छन्नूलाल जी ये सब करने मैं विश्वास नहीं करते इसलिए पद्मश्री भी नहीं मिला |
अद्भुत अलौकिक -आभार!
Thanks for sharing this post very helpful article thanks
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