कुछ ही दिन हुए कि एक पुराने गीत को याद करते हुए एक पोस्ट ठुमरी पर चढ़ाई थी, रचना अधूरी थी तो अपने मित्र पंकज ने पूरी रचना मेरे पास भेजी मैने उसे हूबहू चढ़ा दी ये सोचते हुए कि कम से कम वो रचना अंतर्जाल पर तो हमेशा रहेगी ही, खैर कुछ टिप्पणिया भी आईं उनमें से एक टिप्पणी मानसी की भी थी "ये पोस्ट तो अच्छी है पर ये क्या हो रहा है ठुमरी में? हम क्वालिटी गीत संगीत की आशा ले कर आये थे" तब मुझे वाकई लगा कि मानसी ग़लत तो कह नहीं रहीं पर क्या करें इधर कुछ नया भी सुनने को मिला नहीं और मेरी कोशिश भी यही रहती है कि वही रचना ठुमरी पर चढ़ाई जाय जिसे लोगों ने कम सुना हो और कम से कम वो रचना स्तरीय तो हो ही, तो उसी कड़ी में आज किरण आहलूवालिया की आवाज़ में कुछ रचनाएं आपके लिये लेकर आया हूँ, किरण आहलूवालिया के बारे में सिर्फ़ इतना कि आवाज़ और लय तो खूब है उनके पास पर उनके शब्द अगर कहा जाय तो मोती जैसे नहीं हैं, या कहा जाय बहुत साफ़ शब्द कानों को सुनाई नहीं देते, फिर भी किरण को सुनना सुखद है तो आप भी सुनें....
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6 comments:
वाकई शब्द क्लियर नहीं हैं पर फिर भी बैकग्राऊन्ड में सुनना सुखद है.
Chitra singh ki yaad dila gayee inki awaaz.
abhaar
बहुत अच्छी प्रस्तुति धन्यवाद्
kamaal ki cheej lekar aate hain aap
गीतों के आरम्भ के कुछ पलों में सारंगी से जो मूड बनता है वो बरकरार नहीं रह पाता। पार्श्वसंगीत गीतों के भावों से गुंध नहीं पाता तो कहीं कमजोर अशारों के चलते गीत प्रभावी नहीं बन पाता।
लेकिन इसके बावजूद किरन की आवाज फ़्रेश महसूस होती है। शायद किसी अच्छे शायर के कलाम पेश करें तो अपनी पहचान छोड सकें।
बहरहाल, पेश करने के लिये आपको बधाई।
विमल जी ,आप द्वारा चढी ठुमरी
सुनी ,यह काम आप बहुत अच्छा कर रहें है
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