आज आपका परिचय कराता हूँ एक अफ़गानी ग़ायक सादिक़ फ़ितरत (NASHENAS)से जो कंधार में पैदा हुए लेकिन काबुल में अपने जीवन में सबसे ज़्यादा रहे । वैसे NASHENAS अफगानिस्तानी भाषाओं, दरी और पश्तो और साथ ही उर्दू में दोनों में
गाते हैं . ।
1970 के शुरुआती दशक में सोवियत संघ में NASHENAS मॉस्को के एक विश्वविद्यालय से पश्तो साहित्य में डॉक्टर की उपाधि से सम्मानित भी हुए।
NASHENAS अफगानिस्तान और पाकिस्तान दोनो देशों में बहुत लोकप्रिय हैं, विशेष रूप से क्वेटा और अफ़गान और पश्तो भाषी क्षेत्रों में में तो काफ़ी लोकप्रिय हैं । भारत से बाहर रहकर भी NASHENAS सहगल और मन्ना डे के गाये गीतों को खूब दिल से गाते है। सादिक़ साहब पर सहगल का असर बहुत दिखता है और खूब गज़ब गाते भी हैं, आज ये पोस्ट सादिक़ फ़ितरत NASHENAS को नज़र करते हैं,नशेनस तो मैं अंग्रेज़ी में लिख रहा हूँ ..पर नाम कों लेकर भ्रम अभी भी बना हुआ है , नशेनाज़ लिखूं या नशेनस या नशेनास पता नहीं मालूम नहीं ...फिर भी आप सुनियेगा तो सहगल साहब की याद तो ताज़ा हो ही जाएगी | कुछ और अच्छी तरह सुनने के लिए यहाँ क्लिक करें |
ऐ मेरी जोहरा जबीं
न शास्त्रीय टप्पा.. न बेमतलब का गोल-गप्पा.. थोड़ी सामाजिक बयार.. थोड़ी संगीत की बहार.. आईये दोस्तो, है रंगमंच तैयार..
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7 comments:
badhia laga enke bare me padhna aur sunna
आवाज़ इतनी मीठी है कि क्या कहें,बस माशाल्लाह ! सुंदर और प्रसंशनीय प्रस्तुति !
बहुत आनन्द आया सुनकर..एक अलग स्टाईल!
बहुत दिनों बाद इधर आए लेकिन बहुत सुकून लेकर जा रहे हैं....अफ़ग़ानी आवाज़ सुनकर बेहद सुकून मिला...
छा गये भाई ।
ब्लाग भी अच्छा सजा लिये हैं । एक बात और -बहुत दिन से पढ़ रहा हूं कि ’मुम्बई में १२ साल से ’ । अरे इसको भी तो ठीक करिये ,आपके उम्र की तरह रुका हुआ है ।
सुन कर बहुत अच्छा लगा
aapki wazah se in se bhi mil liye shukriya is prastutti ka.
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