Saturday, December 18, 2010

शफ़क़त अमानत अली मेरी पसन्द

आज बहुत दिनों बाद थोड़ी फ़ुरसत मिली तो सोचा कि ठुमरी पर काफ़ी दिनों से जो सन्नाटा पसरा था उसमें कुछ हरक़त लाई जाय,तो सोचा क्यौं न कोक स्टुडियो की कुछ शानदार वीडियो से आपका और अपना मनोरंजन किया जाय, तो हाज़िर हैं कुछ नायाब ग़ायकी और वीडियो के नमूने। सुना तो सबने है ठुमरी पर भी ज़माने पहले शफ़क़त साहब को सुनाया था और आज फिर से इन्हें सुने तो कोई हर्ज़ नहीं है क्यौंकि अच्छी गा़यक़ी को जितनी बार सुनें आनन्द कभी कम नहीं होता। तो सुनिये और देखिये।

मोरा संइया मोसे बोले ना




आंखों के सागर होंठों के सागर, इसे भी शफ़क़त जी ने आवाज़ दी है सुनिये और दावा है ये आवाज़ आपको मुत्तासिर कर ही देगी।

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