शुरू शुरू में जगजीत चित्रा का अलबम "माइलस्टोन".. अनफ़ॉर्गेटेबल, और उसके बाद आया उनका लाइव कंसर्ट.." जिसमें उन्होने सरकती जाय है रूख से नाक़ाब.. गाया था और उस अल्बम में दर्शकों की वाह वाह भी कुछ ज़्यादा ही सुनाई पड़ रही थी..उसके बाद तो हर तरफ़ जगजीत सिंह ही सुने जाने लगे, अपनी आवाज़ के जादू से जगजीत सिह ने हमारे दिलों में ऐसी जगह बना ली कि पूछिए मत । कमाल की आवाज़, ऐसी आवाज़ जिसे एक बार सुन लें तो बार- बार सुनने का मन करेगा............
लेकिन उनकी गाई कुछ गज़लें आज भी सुनते है तो तरावट सी पर जाती है, और आज ही आज तलाशते तलाशते कुछ चीज़ें मिली है, आप भी लुत्फ़ उठाइये, तो सबसे पहले राजनीति पर व्यंग करती इस रचना को सुनिये....इक बराहमन ने कहा है ...
फिर इस नज़्म को सुने ऐसी बहुत सी रचनाएं जगजीतजी ने गाईं हैं जो मस्त लगतीं हैं.....बात निकलेगी तो फिर दूर तलक जाएगी...
और ये ज़रूर सुनिये ..ये दौलत भी ले लो.. इसे तो हम दोस्तो की महफ़िल में बार बार सुनते हैं और आह आह कहते हैं.
लेकिन उनकी गाई कुछ गज़लें आज भी सुनते है तो तरावट सी पर जाती है, और आज ही आज तलाशते तलाशते कुछ चीज़ें मिली है, आप भी लुत्फ़ उठाइये, तो सबसे पहले राजनीति पर व्यंग करती इस रचना को सुनिये....इक बराहमन ने कहा है ...
फिर इस नज़्म को सुने ऐसी बहुत सी रचनाएं जगजीतजी ने गाईं हैं जो मस्त लगतीं हैं.....बात निकलेगी तो फिर दूर तलक जाएगी...
और ये ज़रूर सुनिये ..ये दौलत भी ले लो.. इसे तो हम दोस्तो की महफ़िल में बार बार सुनते हैं और आह आह कहते हैं.
9 comments:
बहुत दिनों बाद इक बिराहमन ने कहा जैसी रचना याद आई ।
विकल हो गया है मन ।
अगर आप इस ग़ज़ल की इबारत और दे देते तो अच्छा रहता ।
यू ट्यूब पर चल नहीं रहा है । हो सकता है हमारे यहां गड़बड़ हो ।
हो सकता है यू टयूब पर ही गड़बड़ हो ।
विमल जी, आप भी क्या गजलों के जमाने में पड़े हुए हैं और हमें भी पुराने दिनों में खींचे लिए जा रहे हैं। अब तो सूफी म्यूजिक का जमाना है। अब कुछ सूफियाना हो लिया जाए...
चलिये यूनुसजी मै फिर से कोशिश करता हूं शायद बात बन जाय.. पर हमारे यहां तो देखा जा रहा है फिर भी ठीक करने की कोशिश कर रहा हूं पर अनिल भाई, सारी चीज़ें तो एक बार में डाली नहीं स्कती पर इसका ध्यान ज़रूर है आगे देखिये कुछ और बेहतर करने की कोशिश रहेगी ।
इक बराहमन ने कहा --बहुत अरसे बाद सुनी. वैसा ही आनन्द बरकरार है. आपकी पसंद बहुत उम्दा है.
एक पाढक ने कहा है कि ये ब्लाग अच्छा है
बहुत अच्छा जा रहे हो गुरू
आप का ब्लाग पढ़ा,सुना और मस्ती छा गई ।
बहुत अच्छा भाई.मैं तो कहता हूं कि जगजीत सिंह ने हमारी साहित्यिक अभिरुचियों में कुछ बहुत ही नायाब ग़ज़लों को जोड़कर उन्हें समृद्ध किया है.उनकी गायकी में जो मोनोटोनी है उसे इस योगदान के कारण माफ़ किया जाता है.
कई बार पढ़ा , बार - बार पढ़ा, अच्छा लगा.
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