Thursday, November 29, 2007

गज़ल और भजन के बीच गजन !!!

अनूप जलोटा साहब का नाम लिया जाता है तो भजनों की वजह से याद किया जाता है ,उन्होने तब भजन को उंचाई पर पहुंचाया जब गज़ल गाने वालों ने भी अपनी जगह बना ली थी, मतबल ये कि मेंहदी हसन, गुलाम अली,इकबाल बानो, फ़रीदा खानम,पंकज उधास,राजकुमार रिज़वी, रुना लैला,चन्दन दास.घन्श्याम वास्वानी,सतीश बब्बर आदि सभी कुछ ना कुछ गा रहे थे,

भजन गाने वालों में लता दीदी, मुकेश का सुन्दर कांड,हरिओम शरण ,ऐसे बहुत से नाम सुनाई दे रहे थे, पर जहांतक बात आती है अनूप जलोटा साहब की तो वो दौर ऐसा था जब अनूप जलोटा छाये हुए थे, मईया मोरी मैं नहीं माखन खायो, रंग दे चुनरिया,मैली चादर ओढ के कैसे द्वार तुम्हारे आऊं, ऐसी लागी अगन मीरा हो गई मगन,क्या मंदिर और क्या घर और क्या गली गली चौराहे चौराहे तक खूब बजा करते थे ,


जब उन्होने उन्होंने देखा कि लोग गज़ल भी सुन रहे है तो उन्होने कुछ समय गज़ल भी गाया , आज मैं अनूप जलोटा ने जो गज़ल गायीं थीं उनका ज़िक्र करना चाहता हूं, उन्होंने कुछ बढिया गज़लें भी गाई थीं जिनमें ;चांद अंगड़ाइयां ले रहा है, तुम्हारे शहर का मौसम, और भी गज़लें थीं पर अभी याद नही आ रहा पर इतना ज़रूर था कि अनूप जी ने जो भी गज़ल गाया उसकी स्टाइल भजन जैसी ही होती थी,उसमे उन्होंने एक शैली भी बना थी जो वो भजन गाते समय भी उस शैली का इस्तेमाल बखूबी किया करते थे.... वही एक लम्बी तान लेते कि जनता अगर ताली ना बजाए तो वो रूकते ही नहीं थे, अगर आप उन्हे सुनते तो आपको लगता कि आप गज़ल नहीं भजन सुन रहे हैं, तो उस समय लोग अनूप जलोटा की गज़लों को गजन कहा करते थे।

तो आज मै आपको अनूप जलोटा ने जो गजन गाये है उसे सुनवा रहा हूं, और साथ साथ भजन भी सुनिये जो आज भी मंदिरों में सुने जा सकते।

तो पहले सुनिये अनूपजी द्वारा गाया भजन ऐसी लागी अगन मीरा हो गई मगन



और अब आप सुने वो गजन जिसे अनूप जी खूब गाया करते थे । तुम्हारे शहर का मौसम बड़ा सुहाना लगे...



और इस गजन को भी सुन ही लीजिये.. आंखों से पी..

8 comments:

अभय तिवारी said...

इस पोस्ट का वैकल्पिक शीर्षक ये भी हो सकता था.. गजन में अगन.. या अगन की गजन..

बसंत आर्य said...

एक जमाने मे ज़लवा था अनूप जलोटा का. अब चाहे गजन हो या भजन. मुम्बई के रंग भवन् मे तीन घंटे देरी से आये थे और एक भी व्यक्ति हिला नही था. बारिश आई तो लोगों ने कुर्सिया सिर पे रख ली थी और प्रोग्राम चलता रहा था.

काकेश said...

क्या चीज सुनाई विमल भाई. मजा आ गया.

काकेश

बालकिशन said...

वाह भाई वाह. बहुत अच्छा लगा सुनकर.

बोधिसत्व said...

विमल भाई एक नाम मैं सुझा रहा हूँ आगे के लिए
अनूप के भजल......

मीनाक्षी said...

बहुत दिनों बाद फिर से अपनी पसन्द का संगीत आनन्द दे गया.. बहुत बहुत शुक्रिया !

अजित वडनेरकर said...

विमलजी को सबसे पहले जन्मदिन की विलंबित बधाई। का करें, पीसी से पीड़ित थे। अब सही है सब। आप हमसे तीन महिने बड़े निकले। हम जनवरी बासठ की पैदाइश हैं।
इस पोस्ट के बारे में सबकी कही बातों से सहमत हैं।

Alpana Verma said...

bahut sundar bhajan-

--oh sorry ghazan hain--Anup jalota ka yah bhjan --aisee lagi--bahut fav song hai--aksar subah rojana ek baar sunti hun --aap ne aisee lagi agan kyun likha hai??lagan hona chaheeye tha==
lekin inki ghazalen pasnd nahin aatin :)wo bhajan/ghazan] lagti hain--[maafi chahungi ]

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