तो ये साल भी जाने को है, इस साल ये तो ज़रूर हुआ है कि बहुत से खट्टे मीठे अनुभव दे गया, कुछ को मैं हमेशा याद रखूंगा तो कुछ को हमेशा हमेशा के लिये रिसाइकिल बीन में डाल दूंगा,सबसे सुखद एहसास तो ये है कि अपने बहुत से मित्र ब्लॉग से जुड़कर उनकी ज़िन्दगी और समाज से जुड़े आड़े तिरछे,उल्टे पुल्टे,अच्छी बुरे विचार पढने का मौका मिला, जो कम से कम कम दिल से निकले उद्दगार ही थे जो अच्छे लगे,और बहुत से ऐसे भी ब्लॉग देखने को मिले जिससे ब्लॉग का चरित्र भी समझ में नही आ रहा था,मेरे लिये ब्लॉग पढना सिर्फ़ पढना ही नहीं बल्कि ये कहना ज़्यादा उचित होगा कि मेरे लिये ब्लॉग मानसिक आहार हैं,मन मुताबिक खुराक ना मिलने की स्थिति मे तो अपने ऊपर ही खीज होने लगती है,कुछ से अच्छी अत्मीयता मिली,जो मेरे लिये नितांत नया अनुभव है, जिनको मैं नही जानता और उनसे आत्मीय सम्बन्ध का बनना दिल के किसी कोने में लम्बे समय तक मीठी याद की तरह बने रहेंगे,
प्रमोद इरफ़ान,अनिल,अभय का शुक्रिया कि उनकी वजह से चिट्ठाजगत,नारद, ब्लॉगवाणी से जुड़ने का मौका मिला , सबके ब्लॉग पर जाकर उनके विचार पढ़ना और उनपर टिप्पणी करना और अपने भी टिप्पणी को छ्पे हुए देखना अद्भुत लगता था, , , मेरे लिये तो साल की उपलब्धि अगर कहा जाय तो तो ब्लॉग से जुड़ना ही है,बहुत सारे ब्लॉग जो मेरे ज़िन्दगी के हिस्सा बन गये हैं उन्हें सलाम !!
अज़दक का शुक्रिया अदा करना चाहता हूं जिसने मुझे ठेल ठेल कर लिखने को प्रेरित किया और प्रतिक्रिया स्वरूप ठुमरी का जन्म हुआ !!! और बाते बाद में!
कुछ सुनाना चाहता हूं,प्यार से सुनिये
तो आज मेरी पसन्द की ठुमरी आपके सामने है सुनिये और आनन्द लीजिये !!!
आज जो आपको सुना रहा हूं बाजुबन्द खुल खुल जाय जिसे कभी बड़े गुलाम अली खान साहब ने सबसे पहले गाया था वैसे जितने भी शास्त्रीय गायक हैं वो इसे गा चुके है पर आज आपके सामने है आबिदा परवीन
और यही ठुमरी कुछ अलग ढंग से जगजीत सिंह ने भी गायी है उसे भी सुनें
न शास्त्रीय टप्पा.. न बेमतलब का गोल-गप्पा.. थोड़ी सामाजिक बयार.. थोड़ी संगीत की बहार.. आईये दोस्तो, है रंगमंच तैयार..
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3 comments:
अजब है विमल भाई आपका कलेक्शन! अद्भुत! शुभ नव वर्ष!
बहुत अच्छी . आशा है २००८ मी भी यहाँ बहुत कुछ मिलेगा. नव वर्ष मुबारक
वाह विमल भाई.
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