फुटपाथ पे रहने वाले बालक को देखिये, पैसे के अभाव में स्कूल छूट गया पर पैसा कमाने के वास्ते छै सात भाषाएं टूटी फूटी ही सही जानता है, दु:ख भी होता है और आशचर्य भी,.... इतनी सी उमर,लेकिन महानगर में पेट पालने के लिये दूसरे पर्यटकों को आकर्षित करने के लिये ही सही...भाषाएं सीखना तो उसकी मजबूरी है.....पर यही खासियत भी है.......ज़्यादा बोलने से इस वीडियो का मज़ा जाता रहेगा, तो सुनिये इस चपल बालक की चटपटी बातें..
न शास्त्रीय टप्पा.. न बेमतलब का गोल-गप्पा.. थोड़ी सामाजिक बयार.. थोड़ी संगीत की बहार.. आईये दोस्तो, है रंगमंच तैयार..
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आज की पीढ़ी के अभिनेताओं को हिन्दी बारहखड़ी को समझना और याद रखना बहुत जरुरी है.|
पिछले दिनों नई उम्र के बच्चों के साथ Ambrosia theatre group की ऐक्टिंग की पाठशाला में ये समझ में आया कि आज की पीढ़ी के साथ भाषाई तौर प...
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पिछले दिनों मै मुक्तिबोध की कविताएं पढ़ रहा था और संयोग देखिये वही कविता कुछ अलग अंदाज़ में कुछ मित्रों ने गाया है और आज मेरे पास मौजूद है,अप...
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रंगरेज़ .....जी हां ....... अंतोन चेखव की कहानी पर आधारित नाटक है ... आज से तीस साल पहले पटना इप्टा के साथ काम करते हुये चेखव की कहा...
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पिछले दिनों नई उम्र के बच्चों के साथ Ambrosia theatre group की ऐक्टिंग की पाठशाला में ये समझ में आया कि आज की पीढ़ी के साथ भाषाई तौर प...
9 comments:
मुझे लगा मैं मक्सिम गोर्की के बचपन को देख रहा हूँ।
अरे ये कहां से खोज लाए विमल भाई । अभी पिछले दिनों जैसलमेर के रेगिस्तान में हमने ऊंट वालों को छह भाषाएं बोलते देखा । दंग रह गए थे वाक़ई । रोज़ी रोटी और मजबूरियां भी भाषाई काबलियत बढ़ाने का ज़रिया बन जाती हैं । वरना हमारे आपके जैसे सुविधाभोगी किसी नयी भाषा के चार शब्द भी सीखने की नहीं सोचते ।
बिल्कुल इसी तरह गोवा मे भी लोग बड़े आराम से फ्रेंच,रशियन ,स्पैनिश बोलते नजर आते है।
पापी पेट के लिए क्या नही करता इंसान !
सबसे बड़ा रुपैया --
Necessicity is the mother
of invention !
ज़बरदस्त है मालिक! बहुत मार्मिक और साथ ही बहुत हिम्मत देने वाला अनुभव.
Bachpan Punjab main beeta aur bachpane main hi acchi Punjabi bolna seekh gaya. Baad main Delhi aur Chandigarh main naukari karte hue Punjabi gyan ne bahut madad ki. Lekin Kolkata posting ke samai chah kar bhi Bangla nahin hi seekh paya.Ab Mumbai main Marathi seekhna jaroori lagata hai par koshish karne pe aisa lagta hai jaise exam ke ek raat pehle pur course padna hai kyonki exam to kabhi bhi train ya sarak pe ho sakta hai.Lekin ye ladka to kamaal hai bhai. Mujhe bhi bachapan main hi punjabi ke saath kam se kam marathi to seekh hi leni chahiye thee.
विमल भाई बनारस की गलियों और घाटों आपको बहुत सारे बच्चे मिल जाएँगे जो तमिल, तेलुगु, कन्नड़, मलयालम से लेकर बहुत सारी विदेसी जुबान बोलना जानते है
सब पेट का सवाल है. ठीक वैसे ही जैसे की हमको और आपको कंप्युटर चलाना आता है.
abhi ek aise hi bachhe ke baare me dekha tha jo alag alag bhashayen bol kar tourist guide ka kaam karta hai
आह...मासूमियत ...
अक्सर पर्यटनस्थलों पर ये नज़ारे आम हैं। कहां से खोज लाते हैं आप ये चीज़े।
साहेब, अपना ईमेल आईडी हमें देंगे ?
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