सुदूर कैरेबियन कबाड़खाने से कुछ कबाड लेकर आया हूँ,आज आपको कैरेबियन संगीत में भजन गाते है उसे आप यहां सुनेंगे,कैरेबियन चटनी होती है झमाझम
संगीत और मधुर कंठ, आज थोड़ा भजन सुनिये,सैम बूधराम की मस्त आवाज़ का जादू,तेज़ कैरेबियन संगीत के बीच खांटी सैम की आवाज़ कम से कम मस्त तो करेगी ही... आपको अंदर से थिरकने पर मजबूर भी कर देगी, वैसे सैम ने बहुत शानदार चटनी गाई हैं...पर चटनी में भजन जैसा कुछ सुनने को मिले तो आप कैसा महसूस करेंगे, अब ज़्यादा ठेलम ठेली के चक्कर में मज़ा जाता रहेगा तो पहले एक तो मुरलिया आप सुने और दूसरा जै जै यशोदा नंदन की...सुनिये, हम तो अपने लोक गीतो को मरते हुए देख रहे है... पर सोचिये हज़ारों मील दूर, हमारे भाई बंधू अब तक उन गानों भजनों को अपने कबाड़खाने में संजो कर रखे हुए हैं, ये क्या कम बड़ी बात है।
तो दोनो रचनाएं Sam Boodram की हैं
बाजत मुरलिया जमुना के तीरे..............
जै जै यशोदा नंदन की.....
न शास्त्रीय टप्पा.. न बेमतलब का गोल-गप्पा.. थोड़ी सामाजिक बयार.. थोड़ी संगीत की बहार.. आईये दोस्तो, है रंगमंच तैयार..
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
आज की पीढ़ी के अभिनेताओं को हिन्दी बारहखड़ी को समझना और याद रखना बहुत जरुरी है.|
पिछले दिनों नई उम्र के बच्चों के साथ Ambrosia theatre group की ऐक्टिंग की पाठशाला में ये समझ में आया कि आज की पीढ़ी के साथ भाषाई तौर प...
-
पिछले दिनों मै मुक्तिबोध की कविताएं पढ़ रहा था और संयोग देखिये वही कविता कुछ अलग अंदाज़ में कुछ मित्रों ने गाया है और आज मेरे पास मौजूद है,अप...
-
रंगरेज़ .....जी हां ....... अंतोन चेखव की कहानी पर आधारित नाटक है ... आज से तीस साल पहले पटना इप्टा के साथ काम करते हुये चेखव की कहा...
-
पिछले दिनों नई उम्र के बच्चों के साथ Ambrosia theatre group की ऐक्टिंग की पाठशाला में ये समझ में आया कि आज की पीढ़ी के साथ भाषाई तौर प...
4 comments:
विमलजी की जय हो, इतना पुन्न कमा रहे हैं आप. गजब है संगीत, भौजइया बनावे हलुआ, सोनार तेरी सोना में मेरी बिस्वास है...वगैरह सब बुकमार्क किए जा चुके हैं, झूम झूम के सुनते हैं, और जानते हैं कि बॉलीवुड के प्रदूषण से पहले हमारा बिहारी खांटी संगीत कैसा रहा होगा जो कैरिबियन भागकर ही बच सका, यहाँ तो हमने उसे मार डाला, वहाँ भी अब क्या हाल है, मालूम नहीं, सैम बुधराम तो ऑथेंटिक वाले थे लेकिन वहाँ भी रीमिक्स वाले आ गए हैं. बहुत आभार.
बाबू अनामदास,
कवन जमुना का तीरे, कवन कोना लुकाये हुए हैं? चार गो गाना क् संगे जीवन-जोबन गुलज़ार कै रहे हैं?
मिट्टी की सौंधी खुशबु लिए दोनों गीत
सुनाने के लिए शुक्रिया !
ब्लॉग नम्बर वन -ठुमरी ! हालांकि मुझे पता है आप नम्बर गेम से ऊपर हैं पर क्या कहें इसके अलावा..... .
Post a Comment