Tuesday, April 8, 2008

आख़िर ब्लॉगवाणी में हो क्या रहा है?

"अब ब्लॉग में वो बात रही नहीं" शीर्षक से कोई लेख आया क्लिक करने पर खुला भी नहीं,और मज़े की बात है आज की पसन्द में सबसे ऊपर भी है,तो भाई लोग ऐसी खबर जो ब्लॉग की आलोचना, किसी की भी आलोचना से जुड़ी हो, तो देखा गया है कि उसे सभी पढ़ना चाहते हैं,चाहे इन मुद्दों पर कूड़ा ही क्यौं ना लिखा गया हो, आखिर कब हम सुधरेंगे? कब तक हम सनसनी से अपने आपको सहलाते रहेंगे?

6 comments:

Anonymous said...

pasand clik sae bantee haen padney sae nahin
aaj ki pasand clik based haen
pathak sirf usko hii click kartey jo is coloum nae haen
blogvani taknik haen
kamii yae haen kii original post delete honey kae baad bhi agreegators par

azdak said...

कब तक? कब तक? कब तक?

PD said...

Bhaai saahab.. vo mera hi post tha.. aur aap dusare number vala post bhi dekh lijiye udan tastari ji vaala, shayad aapko sab samajh me aa jayega.. :)
vo meri ek galti thi, jise maine sudhaar liya..

Udan Tashtari said...

अब प्रशान्त के कह लेने के बाद हमारे कहने को तो कुछ रहा नहीं. :) आपकी नजर-हर तरफ.

मुनीश ( munish ) said...

इसीलिए अनुलोम-विलोम एवं भास्त्रिका प्राणायाम का महत्व है बड़े भाई. मन का मैल धोने के लिए सद्विचार और प्राणायाम दोनों ज़रूरी हैं !

Udan Tashtari said...

मुनीष भाई तो ब्रह्म ज्ञान दे गये. :)

आज की पीढ़ी के अभिनेताओं को हिन्दी बारहखड़ी को समझना और याद रखना बहुत जरुरी है.|

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