Friday, May 9, 2008

एक ठुमरी सेक्सोफ़ोन पर....

खास बात है कि आपको आज सेक्सोफ़ोन पर ठुमरी सुनाने का मन कर रहा है वैसे भी शहनाई पर तो उस्ताद बिस्मिल्लाह खां साहब ने तो बहुत सी यादगार धुनें सुनाई हैं....पर सेक्सोफ़ोन पर आज राग भैरवी में ठुमरी का आनन्द लीजिये,ये रचना चुंकि नेट सर्च पर मिली है इसलिये बहुत कुछ बताने की अपनी स्थिति है ही नहीं...अब जो जानता हो हमें बताए...बस मुझे इतना पता है कि राशिद खा़न ने इसे लाहौर में कहीं बजाया था..अब मुझे तो ये भी नहीं पता कि ये अपने उस्ताद राशिद ख़ान हैं या पाकिस्तान के कोई राशिद खा़न हैं...सेक्सोफ़ोन पर ठुमरी सुनना सुखद लगा तो आपके लिये भी परोस रहा हूँ...कैसा लगा? बताईयेगा ।

19 comments:

Unknown said...

भाई विमलजी अदभुत.... अंग्रेज़ी बाजा हिन्दुस्तानी ठुमरी ......गनीमत है स्वरों को न बाँट पाया कोई हर जाती धर्म सम्प्रदाये और देशों में एक ही स्वरूप है ....आपकी खोज को और गति दें....संध्या रियाज़

Ashok Pande said...

बेहतरीन है साहब! दिन बन गया. धन्यवाद!

anju said...

ऐसा लगा जैसे मुम्बई की धूल और शोर भरी गलिओं में, जाती हुई सांस को, किसी साज़ की गर्मी से नई ज़िंदगी मिल गई

अफ़लातून said...

तबले से सवाल-जवाब भी है । तबला किसने बजाया है ?

पारुल "पुखराज" said...

hamne to save kar li...laajavaab..shukriyaa

VIMAL VERMA said...

अफ़लातून भाई,इस रचना के बारे में जितनी भी जानकारी थी लिख दिया है...इससे ज़्यादा मैं भी नहीं जानता अगर किसी को इस रचना के बारे में पता हो तो ज़रूर खुलासा करे हम भी व्यग्र है जानने को । आपका सबका शुक्रिया हमारे यहां आए....

Manish Kumar said...

अति सुंदर..दिल खुश कर दिया आपने !

लावण्यम्` ~ अन्तर्मन्` said...

बेहद सुँदर रही ये ठुमरी -
सुनवाने का शुक्रिया !
- लावण्या

Neeraj Rohilla said...

बाजूबंद खुल खुल जाये....

बस "बडे गुलाम अली खान" याद आ गये, अभी इसके तुरंत बाद आज का दिन खान साहब के नाम करता हूँ ।

बहुत आभार इसे सुनाने का,

नीरज

Udan Tashtari said...

बहुत आभार इसे सुनवाने का. आनन्द आ गया.

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आप हिन्दी में लिखते हैं. अच्छा लगता है. मेरी शुभकामनाऐं आपके साथ हैं इस निवेदन के साथ कि नये लोगों को जोड़ें, पुरानों को प्रोत्साहित करें-यही हिन्दी चिट्ठाजगत की सच्ची सेवा है.

एक नया हिन्दी चिट्ठा किसी नये व्यक्ति से भी शुरु करवायें और हिन्दी चिट्ठों की संख्या बढ़ाने और विविधता प्रदान करने में योगदान करें.

शुभकामनाऐं.

-समीर लाल
(उड़न तश्तरी)

सिद्धार्थ शंकर त्रिपाठी said...

शास्त्रीय संगीत का सुर-ताल-लय तो बिलकुल समझ नहीं पाता, लेकिन इस ठुमरी का संगीत कान में पड़ते ही जैसे अमृत घोल गया। इसके रसास्वादन के लिये किसी शास्त्र की जानकारी आवश्यक नहीं है। वाह! आनंद आ गया। इसका url खोजता हूँ।

अजित वडनेरकर said...

अहा ! क्या लहककर और ठुमक कर बजा है बाजा। मज़ा आ गया। ये राशिदखान साहेब इधर वाले तो कतई नहीं हैं। बहरहाल जो भी हों, बाजु बंद खुल खुल जाए और रसीले तोरे नैन सांवरिया... का एक साथ आनंद आ गया। अपन को बरसों से सेक्सोफोन और ट्रम्पेट एक साथ पसंद हैं। इसी चक्कर में अबतक दोनों में से एक भी नहीं खरीद पाए। अलबत्ता कालेज टाइम में स्पैनिश गिटार को सरोद के अंदाज़ में अपन ने कुछ दिन शास्त्रीय अंदाज़ में बजाना ज़रूर शुरू किया था , सचमुच मज़ा आता था....

siddheshwar singh said...

बाबू जी मार डाला!

डॉ दुर्गाप्रसाद अग्रवाल said...

विमल जी, नायाब चीज़ सुनवाने के लिए कितना आभार व्यक्त करूं?
आप ऐसे ही रत्न ढूंढ कर लाते रहें और हमारे दिन बनाते रहें.

Unknown said...

मजा आ गया पश्चिमी वाद्य पर ठेठ हिन्‍दुस्‍तानी संगीत सुनकर। तबला भी सुंदर है। यह पोस्‍ट आज के लिए ही बचाकर रखी थी। सप्‍ताहांत बढि़या रहेगा।

दीपा पाठक said...

कल वल्डस्पेस के गंर्धव चैनल पर श्रुति शिरोङकर जी ने अपनी पसंद की एक से एक लाजवाब ठुमरियां सुनवा कर आनंदित कर दिया और आज आपके ब्लॉग पर यह प्रस्तुति, आनंद दुगुना हो गया। धन्यवाद।

Unknown said...

Bahut hi Badhiya Tumari Sunane ka Aanand aaya kai varshon baad. Pallav tum vakai Badhai ke patra ho.Vasant Budhkar

sanjay patel said...

सदा सुहागन भैरवी सुनकर मज़ा आ गया विमल भाई. इस दुर्लभ वाद्य का प्रयोग दक्षिण भारतीय शास्त्रीय संगीत में होता है और वहाँ यह वाद्य बहुत लोकप्रिय है..उत्तर भारत में यह कम ही सुनने को मिलता है ...हाँ फ़िल्म संगीत के आयोजनों में ज़रूर सैक्सोफ़ोन सुनाई दे जाता है. ...इस महफ़िल की मेज़बानी के लिये शुक्रिया.

सागर नाहर said...

आहा... विदेशी वाद्ययंत्र पर राग भैरवी! शब्द नहीं है कहने के लिये। बस मन झूम रहा है
टिप्पणी इतनी ही लिखेंगे, ठुमरी सुनने में डिस्टर्ब हो रहा है।
:) :)

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