न शास्त्रीय टप्पा.. न बेमतलब का गोल-गप्पा.. थोड़ी सामाजिक बयार.. थोड़ी संगीत की बहार.. आईये दोस्तो, है रंगमंच तैयार..
Thursday, November 1, 2007
कैरेबियन चटनी संगीत का स्वाद ! ! !
देखिये ना लोकगीत पर मेरा पिछ्ला पोस्ट तो आपने पढा ही होगा और इस पर पिछ्ले दिनो इरफ़ानजी और यूनुसजी ने कुछ अच्छी रचना भी हमें सुनवाई थी,पर पुरानी चीज़ें जैसे हाथ से फ़िसल फ़िसल जा रही हैं उसे हम सम्हाल ही नही पा रहे और जब कुछ नई चीज़ दिखती है तो राय बनाने में ही काफ़ी समय निकल जाता है.. पर मैं आज के गीतों के बारे में ये सब मगजमारी कर रहा हूं, अब आज के दौर में कुछ भी नया सुनने को मिल जाय तो नये लोग उसे बड़ी शिद्दत से देखते हैं पर वहीं कुछ पुराने मिल जायेंगे और बात यहीं से शुरू होगी कि अच्छा तो है पर वो बात नही है जो पहले हमने सुना था और फ़िर पुराने दिन की बातें शुरू होंगी और ओस में भीगे दिनो की बात होगी और मामला रफ़ा दफ़ा ।
कैरेबियन चटनी सुन रहा था और मै यही सोच भी रहा था कि गुयाना, फ़िजी,और मौरिशस, हालेंड आदि देशो में डेढ़ दो सौ साल से रह रहे हमारे पुर्वजो ने कितना कुछ बदलते हुए देखा होगा, जो भी अपने देश अपनी मिट्टी लेकर गये होंगे उसे कितना सहेज संजॊ के रखा होगा पर बदलते समय में वहां भी गीत संगीत में कितना कुछ बदला होगा और कितनों ने ये बात तो वहां भी कही ही होगी कि अब पहले जैसी बात नही है, पर हम तो उनके आज के अंदाज़ से ही अभिभूत है नही विश्वास होता तो आप भी सुनिये और सोचिये समय के साथ कितना कुछ बदला होगा पर उन्हॊने आज भी वो रस अपने संगीत में बचा रखा है जो आपको बरबस सुनने और समझने को मजबूर कर दे तो कुछ जुगाड़ से ये चट्नी आप तक पहुंचा रहा हूं, मज़े से इसका स्वाद लीजिये स्वाद जो जायकेदार तो है ही अपना सा रस भी आपको भरपूर मिलेगा ये मेरी गारन्टी है ।
इसके इतिहास पर कुछ जानकारी बांट सके तो सोने में सुहागा, मेरे दिमाग में तो अभी भी अमिताभजी द्वारा गाया कलिप्सो ही दिमाग में है ओ रे सांवरिया ससुर घर जाना... पर आपको लेकर चलते है कैरेबियन द्वीप और वहां का मज़ा लीजिये.. आप जो सुनने जा रहे हैं उसे गाया है सैम बुडराम( Sam boodram) ने जो ट्रेडिशनल चटनी किंग माने जाते है. गाने मै लिख नही पा रहा इसके लिये माफ़ी चाहता हूं।
सोनार तेरी सोना पर मेरी विश्वास है....
छ्ट्ठी के दिन भौजैईया बनावे हलवा .......
कुछ और उम्दा चीज़ें है परोसने के लिये पर ..... जो आपने सुना कैसा लगा ज़रूर लिखियेगा !!!!
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
आज की पीढ़ी के अभिनेताओं को हिन्दी बारहखड़ी को समझना और याद रखना बहुत जरुरी है.|
पिछले दिनों नई उम्र के बच्चों के साथ Ambrosia theatre group की ऐक्टिंग की पाठशाला में ये समझ में आया कि आज की पीढ़ी के साथ भाषाई तौर प...
-
पिछले दिनों मै मुक्तिबोध की कविताएं पढ़ रहा था और संयोग देखिये वही कविता कुछ अलग अंदाज़ में कुछ मित्रों ने गाया है और आज मेरे पास मौजूद है,अप...
-
रंगरेज़ .....जी हां ....... अंतोन चेखव की कहानी पर आधारित नाटक है ... आज से तीस साल पहले पटना इप्टा के साथ काम करते हुये चेखव की कहा...
-
पिछले दिनों नई उम्र के बच्चों के साथ Ambrosia theatre group की ऐक्टिंग की पाठशाला में ये समझ में आया कि आज की पीढ़ी के साथ भाषाई तौर प...
14 comments:
आनंदित कर दिया आपने किन शब्दों मे खुशी बयान करूं !
कमाल है गुरू.
जल्दी लाइये अगला.
अरे भाई आप तो कमाल कर रहे हैं.
आपको सलाम पहुंचे.भउजइया बनावे हलवा..
ऐ सोनार...मुझे भी तेरी सोना पर बिस्वास है.४८ कैरट शुद्ध. Looking for next.
भईया बिमल जी जे बतावैं कि ई चटनी जुगाड़ी कहां से । हम आते हैं आपके घर चखने । ममता जी तो मुग्ध हैं इस चटनी पर ।
भौजईया बनावे हलवा--वाह वाह, झूम उठे. आनन्द आ गया. अब यह सिरिज चलाईये.
विमलजी तोरा गाना पर पूरा बिसवास है । एकजाई !
विमल भाई,
कहीं से सीडी मिलेगी? कहाँ पउबेया ऐतना जबरजस्त संगीत?
आपके ब्लॉग में चार चाँन लग गया है, साथी. मने, सितारा तो पहले ही था अब बुझिए कि जगमगा रहा है.
साधुवाद
आनन्द पाया सर....इंतजार है....
विमल भाई
बहुत खूब, मजा आ गया दिन भर की थकान उतर गई। यह कड़ी अब जारी रहे।
लोग १५० साल पहले भारत छोड़ कर गये और अब तक हमारी संस्कृति को संभाले हुए है और हम......??
मैं कब से और टिप्पणी करते हुए गुनगुना रहा हूँ
छट्ठी के दिन भौजाईया बनावे हलवा.... :)
भाई सब मस्त हैं तो इससे बढिया और क्या हो सकता है,इरफ़ान तो कुछ ज़्यादा उत्साहित हो गये लगते हैं .. थोड़ा और है मेरे पास कैरेबियन माल लेकिन सब अच्छा नही है साथी, वहां भी अपनी तरह का रीमिक्स और अच्छी बुरी आवाज़ भी है, सबको हलवा बहुत पसन्द आया.. और सोनार तेरे सोना पर मेरी विश्वस है.. ये भी खूब पसन्द आया साथियों को... भाई यूनुस जी सारी सब कुछ जुगाड पर ही तो चल रहा है कभी भी हमारे घर आ सकते हैं .. अफ़लातून जी की प्रतिक्रिया भी अच्छी लगी..राजेश जोशी जी निवेदन है भाई आप तो विलायत में हो, कुछ इसी तरह की सामग्री वहां मिल सकती है जो अनसूनी और अनजान हो तो हमें उपलब्ध करायें..बोधी जी कुछ नया करने की कोशिश कर रहा हूं आप लोगो का साथ अच्छा लग रहा है .....
अद्भुत तरीके से लगातार हौंट करने वाला ताजगी से भरा दुर्लभ संगीत। यह दुनिया रहेगी तो आप जैसे तमाम जिंदादिल लोगों के कारण। शुक्रिया।
Post a Comment