Thursday, May 15, 2008

चंदन दास की एक गज़ल.....

आज चंदन दास की एक गज़ल सुनिये,वैसे चाहता तो था कि और भी गज़लें जो मुझे पसंद हैं चंदन दास की वो सुनवाता पर आज एक ही ग़ज़ल सुनिये....चंदन दास की आवाज़ दमदार है पर ना जाने क्यौं उनकी गज़लों की फ़ेहरिस्त बहुत छोटी है....कुछ ही गज़लें मुझे पसन्द आयीं थी....जिसमें एक तो खुशबू की तरह आया, वो हवाओं में.. मुझे बहुत पसन्द है, आज भी कभी सुनने को मिल जाता है तो मज़ा आ जाता है। आज उनकी एक ग़ज़ल सुनिये और आनन्द लीजिये....



न जी भर के देखा न कुछ बात की....

5 comments:

Yunus Khan said...

ओह पिछले दिनो नीरज रोहिल्‍ला से चंदन दास के बारे में ही चर्चा चल रही थी । मैंने उसे बताया कि एक दिन विविध भारती की लॉबी में एक शख्‍स को बैठे देखा तो चेहरा पहचाना सा लगा । फिर किसी ने बताया कि ये चंदन दास हैं । बहुत पुराने दिन याद दिला दिये आपने ।

कंचन सिंह चौहान said...

ohh kya gazal hai..mere pasandida gazal gayak ki pasandida gazal sunavane ka shukriya

सागर नाहर said...

बहुत खूब.. चंदन दास जी की ज्यादा गज़लें नहिं सुनी पर लगता है अब खोज खाज के सब सुननी होगी।
धन्यवाद विमलजी।

Manish Kumar said...

मेरी डॉयरी में ये ग़ज़ल अंकित है। और इसकी कैसेट भी है मेरे पास शुक्रिया इसे बहुत दिनों बाद सुनवाने के लिए।

Udan Tashtari said...

बहुत आभार इतनी उम्दा गजल सुनवाने का. एक मित्र से एक बार सुनी थी-आज कुछ और ही आनन्द आया.

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