Sunday, September 2, 2007

शुभा मुदगल का जादू...

शुभा मुदगल को पहले आपने सुना है या नहीं? कोई अलबम सुना ही होगा, या किसी वीडियो पर निग़ाह गई होगी. पर इससे अलग भी एक बड़ी उनकी दुनिया है. उतनी ही बड़ी और खनकदार जैसी कि उनकी आवाज़ है... आमतौर पर टीवी और रेडियो पर अक्‍सरहां उनकी आवाज़ से हमारी जो मुलाक़ातें होती हैं, उनमें चालू पॉपुलर म्‍यूजिक का काफी सारा तमाशा भी घुसा रहता है.. लेकिन शुभाजी की स्‍वर और सुर की जिन उत्‍तंग शिखरों तक पहुंचने की जो सहज काबिलियत है, उसके दिलअज़ीज़ मोती हमारे आगे नुमायां होते कहां हैं? मगर यह दुश्‍वार काम हमने किया. किसके लिए? हुज़ूर, मेरे करीब, आपके लिए! यहां भटके, वहां पहुंचे, अंतरजाल में कहां-कहां अटके... और तब कहीं जाकर हमने यह ख़ज़ाना हासिल किया है... लीजिए, नोश फ़रमाईए, ठुमरी की ठुनक- कान्‍हा तोरी बांकी चितवनिया, हे रे सांवरिया...

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लगे हाथ शुभाजी की गायिकी के कुछ अन्‍य नमूनों का भी आनन्‍द लीजिए..

पहले राग देस में यह सुनें:

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फिर यह ज़रा चालू, धीम-धड़ाम वाली बंदिश सुनें:

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और यह एक कजरी:

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और आखिर में एक सावनी:

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9 comments:

Yunus Khan said...

शुक्रिया ये रचना सुनवाने के लिए ।
शुभा जी ने विविध भारती पर संगीत सरिता में भी एक श्रृंखला की थी ।
जिसमें शायद उन्‍होंने ठुमरी की बात की थी । शुभा की कुछ अदभुत रचनाएं
हम भी आगे चलकर प्रस्‍तुत करेंगे ।

बोधिसत्व said...

सुन रहा हूँ सर इस इलाहाबादी गायिका को। रस बरस रहा है।

Udan Tashtari said...

बहुत आनन्द आ गया इसे सुनकर. आभार.

अजित वडनेरकर said...

विमल साहब को आदाब,
दिल खुश हो गया शुभाजी की बंदिश पर। हम तो आबिदाजी की गायकी के दीवाने हैं मगर जब आपकी सौगात को खोला तो ये पूरी फास्ट फारवर्ड में चलती नजर आई। मेहरबानी कर एक बार देख लीजिए। ये आपकी ओर से हो रहा है या हमारी तरफ से। हम इसे सुनने से वंचित नहीं होना चाहते।
शुक्रिया एक बार फिर।

VIMAL VERMA said...

अजितजी,कुछ तकनीकि समस्या आ गई थी माफ़ी चाहता हूं, उसकी जगह शुभाजी ही की चार अन्य रचनाएं हैं उन्हेण सुनिये और रस लीजिये. असुविधा के लिये खेद है.

Manish Kumar said...

बढ़िया भाई...ऐसे ही सुर सरिता बहाते रहिए।

Unknown said...

भाई चवन्नी तो गच हो गया.अाप की महनत के लिए शुक्रिया कहना नाकाफी है.आप की कॉफी पक्की हो गई.

Pratyaksha said...

आनंद आया !

ajai said...

Vimalji bahut dhanyavad ,Shubhaji ko sunvaane ke liye aur Yunus bhai mai intzaar kar raha hoon.

आज की पीढ़ी के अभिनेताओं को हिन्दी बारहखड़ी को समझना और याद रखना बहुत जरुरी है.|

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